कबाड़ में ढूंढ़ ली पढ़ाने की युक्ति, सीमा को नेशनल अवार्ड

कोरबा । त्योहारों की सफाई में हम घर के पुराने सामान, उपकरणों के कल-पुर्जे बेकार समझ कूड़ेदान के हवाले कर देते हैं। हैरत की बात ये है कि आपके लिए बेकार इन्हीं चीजों से शिक्षिका सीमा पटेल ने अपने स्कूल के बच्चों को पढ़ाने व सीखने-सिखाने की युक्ति ढूंढ़ निकाली। कबाड़ से जुगाड़ की थीम पर ऐसी अनेक अनोखी युक्तियों के लिए सीमा को नेशनल टीचर इनोवेशन अवार्ड से सम्मानित किया गया है। उन्हें यह सम्मान केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक व केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने प्रदान किया। अपनी प्रतिभा से स्कूल के विद्यार्थियों की प्रतिभा निखारने में माहिर शिक्षिका सीमा पटेल स्याहीमुड़ी में एजुकेशन हब परिसर में संचालित शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय में पदस्थ हैं। यहां विद्यालय के साथ हॉस्टल भी संचालित है। उन्हें शिक्षा में शून्य निवेश नवाचार के लिए एमएचआरडी से नेशनल टीचर इनोवेशन अवार्ड प्रदान किया गया। भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान, नई दिल्ली में आयोजित समारोह में सीमा पटेल को टीचर इनोवेशन अवार्ड (टीआइए) से नवाजा गया। यह सम्मान केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक व केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने प्रदान किया। उल्लेखनीय होगा कि शिक्षिका सीमा पिछले कई साल से अपने अनोखे प्रयोगों से विद्यार्थियों की शिक्षा-दीक्षा में अपूरणीय भूमिका निभा रहीं हैं।


 

छग से चुनी गई एकमात्र प्रतिभागी


यह पुरस्कार हासिल करने वाली सीमा पटेल छत्तीसगढ़ से एकमात्र शिक्षिका हैं। मानव संसाधन विकास विभाग के सहयोग पर अरविंदो सोसाइटी की ओर से यह कार्यक्रम पूरे देश में चलाया जा रहा है। शिक्षा में शून्य निवेश नवाचार के तहत शैक्षिक संस्थानों में किए जा रहे कार्यों का विवरण, वीडियो, छायाचित्र ऑनलाइन भेजे जाते हैं। कबाड़ के इस्तेमाल से ईजाद की गई अपनी अनोखी जुगत से उन्होंने न केवल यह पुरस्कार हासिल किया, राष्ट्रीय स्तर पर पहचान कायम कर कोरबा व छत्तीसगढ़ को भी गौरवान्वित किया।


 

20 लाख आइडिया में मिली सफलता


केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के इस कार्यक्रम में प्रतिभागिता देते हुए टीचर इनोवेशन अवार्ड के लिए देश भर से 20 लाख आइडिया भेजे गए थे। इसमें शासकीय व निजी विद्यालयों के शिक्षकों सहित महाविद्यालयों के प्राध्यापकों की प्रविष्टियां भी शामिल रहीं। कई बार परीक्षण के बाद इन 20 लाख में 63 आइडिया का चयन हुआ। इस तरह न केवल सीखने की अनोखी युक्ति मिली, कबाड़ में चले जाने वाले बेकार चीजों के नवीनिकरण का विकल्प प्राप्त हो रहा। कबाड़ से जुगाड़ में उन्होंने राष्ट्रीय पहचान बनाई है।


हॉस्टल के कूड़े का सदुपयोग किया


सीमा ने कबाड़ से जुगाड़ के कई तरीके निकाले हैं। वे विद्यालय व हॉस्टल से निकलने वाले हर कचरे का बखूबी इस्तेमाल करती हैं। कचरे को छह भागों में विभाजित किया गया है। इसके लिए छात्रों की टीम भी तैयार की गई है। विद्यालय प्राइमरी और मीडिल स्तर का है लिहाजा कागज के रूप में बड़ी मात्रा में कचरा एकत्र होता है। कागज के टुकड़े इत्यादि को फेंकने के बजाय एक स्थान पर एकत्र किया जाता है। एक सप्ताह में एकत्र हुए कागज के टुकड़ों को मिट्टी के साथ मिलाकर इसकी मूर्तियां, खिलौने इत्यादि बनाए।


चॉकलेट रेपर, चिप्स पैकेट से क्राफ्ट


विद्यार्थी पेंसिल का इस्तेमाल करते हैं, जिनके छिलके भी फेंके नहीं जाते। इन छिलकों को चिपका कर डिजाइन तैयार की जाती है। बिस्किट, चॉकलेट, चिप्स आदि पैकेजिंग के प्लास्टिक को कटिंग कर इसे गुंथा जाता है और फिर इससे मेट, गुड़िया आदि आर्कषक क्राफ्ट बनाए जाते हैं। पुराने कपड़ों को भी कटिंग कर इससे मेट आदि तैयार किया जाता है। बोतल, कांच की चूड़ियां आदि का उपयोग भी क्राफ्ट आदि में होता है। हॉस्टल के किचन से निकलने वाले गीले कचरे का उपयोग खाद तैयार करने में किया जा रहा है।