भोपाल / ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस्तीफे के बाद भाजपा और कांग्रेस दोनों ही खेमेबंदी में जुटी हैं। कांग्रेस ने दावा किया है कि जो विधायक बेंगलुरु गए थे, वे अब सिंधिया के एक्शन से ही नाराज हैं। बेंगलुरु गए कमलनाथ के मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने बुधवार को भोपाल लौटकर कहा कि हमारे विधायकों की जल्द वापसी जल्द होगी। कहा यह भी जा रहा है कि 8 से 10 भाजपा विधायक भी कांग्रेस के संपर्क में हैं। दिग्विजय ने दावा किया कि कांग्रेस फ्लोर टेस्ट पास करेगी और पूरे 5 साल सरकार चलाएगी।
18 या 19 मार्च को आ सकता है निर्णायक मोड़
16 मार्च से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में 18 या 19 मार्च को राज्यपाल के अभिभाषण पर मत विभाजन की संभावना है। इन्हीं तारीखों को मध्य प्रदेश की सियासत में निर्णायक मोड़ आ सकता है। 13 मार्च को प्रदेश की राज्यसभा की तीन सीटों के लिए नामांकन की आखिरी तारीख है। भाजपा ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रत्याशी घोषित कर दिया है, लेकिन कांग्रेस ने पत्ते नहीं खोले हैं। राज्यसभा चुनाव 26 मार्च को होंगे।
भाजपा करेगी मत विभाजन की मांग
बजट सत्र के दौरान राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान विपक्ष (भाजपा) मत विभाजन की मांग जरूर करेगा। ऐसा हुआ, तो पक्ष-विपक्ष में डाले गए मतों से ही सरकार का भविष्य तय होगा। सिंधिया समर्थक मंत्री और विधायकों के इस्तीफों को विधानसभा अध्यक्ष तभी स्वीकार करेंगे, जब उन्हें इस बात का भरोसा हो जाएगा कि वे इस्तीफे बिना किसी दबाव के दिए गए हैं। अध्यक्ष इस्तीफा देने वाले एक-एक विधायक से दो दौर की चर्चा करेंगे। अंतिम दौर की पूरी बातचीत की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी। इसके बाद अध्यक्ष इस्तीफा स्वीकार करने या न करने पर फैसला करेंगे। माना जा रहा है कि इस प्रक्रिया में कर्नाटक की तरह काफी समय लग सकता है। मामला हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक भी जा सकता है।
विधानसभा में पेश होगा बजट
सदन में बजट पेश होने के बाद उस पर चर्चा होगी। बजट पारित होने से पहले विपक्ष इस पर मत विभाजन की मांग कर सकता है। इस पर नियमानुसार विधानसभा अध्यक्ष को मत विभाजन कराना होता है। मध्य प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान ये देखने को मिला था, जब राज्य के कानून से संबंधित एक बिल पर सत्ता पक्ष के ही एक सदस्य ने मत विभाजन की मांग कर दी और अध्यक्ष ने इसे मान भी लिया था। इस दौरान व्हिप जारी नहीं होने से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी और शरद कौल ने सरकार के समर्थन में वोटिंग कर दी थी। संभावना यह भी जताई जा रही है कि प्रदेश में जारी घटनाक्रम को देखते हुए राज्यपाल सरकार से 16 मार्च से पहले ही सत्र बुलाने और बहुमत साबित करने कह सकते हैं। लेकिन, यह तभी संभव होगा जब विपक्ष राज्यपाल के सामने सरकार के अल्पमत में होने का दावा पेश करे।
भाजपा की बैठक में नारेबाजी से फूट की खबरें
10 मार्च को भोपाल में भाजपा विधायक दल की बैठक हुई। इस बैठक में मुख्यमंत्री पद को लेकर शिवराज सिंह चौहान और नरोत्तम मिश्रा के नाम के नारे लगे। इसके बाद से ही भाजपा में भी फूट की चर्चाएं होने लगीं। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी एक न्यूज वेबसाइट से कहा कि दिग्विजिय और नरोत्तम में पहले से ही मुख्यमंत्री पद को लेकर विवाद था। अब यह तय हो गया है कि दोनों में से एक मुख्यमंत्री और दूसरा डिप्टी सीएम बनेगा।