चुनौतियों को हमने चुना, बनते चले गए बराबरी के रास्ते

कोरबा । यूं तो जीवन के हर कदम पर संघर्ष है, पर जब लैंगिक आधार पर कृत्रिम चुनौतियां खड़ी हो जाएं, मुश्किलें बढ़ती जाती हैं। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने उन महिलाओं के पक्ष में एक बड़ा फैसला दिया जो सेनाओं में हैं। यह फैसला वृहद भारतीय समाज की उस मानसिकता को भी खंडित करने वाला है, जिसमें कहा गया कि कई तरह के कार्य के लिए महिलाएं बनी ही नहीं। भारतीय समाज में महिलाओं ने सदियों के अपने संघर्ष व बराबरी के लिए कभी न खत्म होने वाली जिजीविषा को आगे रखकर ऐसे मुकाम हासिल किए हैं, जिन पर देश के हर एक नागरिक को गर्व होना चाहिए। जिन कार्य क्षेत्रों को कभी सिर्फ पुरुषों के लिए जाना जाता था, वहां महिलाओं ने अपनी कुशलता से न सिर्फ ऊंचाइयां पाई हैं बल्कि ऐसे बेंचमार्क बना दिए हैं जिन्हें छू पाना पुरुषों के लिए भी बड़ी बात है। कोरबा क्षेत्र उद्योग व उद्यमिता का गढ़ है। इनमें भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बाल्को) महत्वपूर्ण है। एल्यूमिनियम उत्पादन के क्षेत्र में संलग्न छत्तीसगढ़ की एकमात्र व भारत के प्रमुख उद्योग का संचालन वेदांता समूह कर रही। इस उद्योग की खासियत यह है कि यहां पुरुषों के लिए आगे बढ़ने के जितने अवसर मौजूद हैं, महिलाओं को भी बराबरी के साथ उपलब्ध हैं। चाहे तकनीकी क्षेत्र हो या फिर गैर तकनीकी, हर कार्य में कंधे से कंधा मिलाकर महिलाएं भागीदारी कर रही हैं।


 

0 फीसदी महिला कर्मियों के नियोजन लक्ष्य


प्रतिभाशाली उद्यमी महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए वेदांता समूह ने यह तय किया है कि अगले तीन वर्ष में संयंत्र प्रचालन के विभिन्न क्षेत्रों में कम से कम 30 फीसदी महिला कार्यबल का नियोजन किया जाए। बाल्को के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं निदेशक अभिजीत पति कहते हैं कि वेदांता में विविधतापूर्ण कार्य संस्कृति अत्यंत मजबूत है। हमने व्यावसायिक प्रचालन के अनेक क्षेत्रों में लैंगिक विविधता को शामिल किया है। एक संगठन के तौर पर यह हमारे डीएनए का महत्वपूर्ण अंग है। लैंगिक समानता और एक नियोक्ता के तौर पर लैंगिक विविधता को बढ़ावा देने की भावना हमारे संगठन की कार्य संस्कृति में समाहित है। महिला कार्यबल को भविष्य के नेतृत्वकर्ता के तौर पर विकसित होने की दिशा में हम हरसंभव मदद कर रहे हैं। एक संगठन के तौर पर हमारा विश्वास यह सुनिश्चित करने में है कि निर्णयन की प्रक्रिया में महिलाएं बराबर की भागीदार हों।


प्रतिभा पहचानने का अवसर


 

बाल्को की क्वालिटी अश्योरेंस (मेटल) प्रमुख भक्ति लक्ष्मी साहू कहती हैं बाल्को और वेदांता समूह के साथ काम करना एक विशेष अनुभव है। यहां आपकी प्रतिभा पहचानने व आगे ले जाने का अवसर मिला। बिना किसी भेदभाव उन्हें हर तरह की जिम्मेदारी दी जाती है। उन्होंने अपने कॅरियर की शुरुआत साढ़े 11 वर्ष पूर्व प्रशिक्षु स्नातक इंजीनियर के तौर पर की थी। इन वर्षों में क्वालिटी लैब, आइएसओ सर्टिफिकेशन, खदान, स्मेल्टर, पावर आदि क्षेत्रों में काम सीखने व दायित्व निभाने का अवसर मिला।


 

व्यक्तिगत सुरक्षा भी उच्च स्तरीय


बाल्को की लीड कोल कॅमर्शियल सोनाली शुक्ला ने कॅरियर की शुरुआत वेदांता समूह के झारसुगुड़ा एल्यूमिनियम प्लांट से की। काम की शुरुआत तकनीकी क्षेत्र से हुई फिर वर्ष 2014 से बाल्को में वाणिज्य विभाग से जुड़ने का अवसर मिला। इस दौरान उन्हें स्पेयर्स, ऑटोमेशन, ऑडिट कम्प्लाएंस, सीटी पिच आदि संबंधी जिम्मेदारियां दी गईं। अब उन्हें कोयला प्रबंधन से जुड़े काम का अवसर मिला है। बाल्को और वेदांता विविधता (डायवर्सिटी) को पूरा मौका देते हैं। महिलाओं की व्यक्तिगत सुरक्षा भी उच्च स्तरीय है।


आप भीतर से सशक्त हों


वर्ष 2005 में बीकॉम ट्रेनी से अपने कॅरियर की शुरुआत करने वाली संगीता तिवारी आज वित्त विभाग में सह प्रबंधक हैं। उन्हें लगभग डेढ़ दशक में वित्त विभाग के विभिन्न कार्य से जुड़ने का अवसर मिला। महिला सशक्तिकरण पर उन्होंने कहा कि महिलाएं तो स्वयं ही सशक्त हैं। कोई बाहर से आपको सशक्त करें इससे पहले जरूरी है कि आप भीतर से सशक्त हों। यहां जॉब रोटेशन पर ध्यान दिया जाता है। इससे कर्मचारियों को निरंतर सीखने का मौका मिलता है और काम के प्रति उनकी जिज्ञासा बनी रहती है।


चुनौतियां व अवसर दोनों ही भरपूर


1200 मेगावाट विद्युत इकाई में डिप्टी मैनेजर के बतौर पर काम कर रहीं स्तुति चंद्राकर बाल्को में वर्ष 2006 में कॅरियर प्रशिक्षु स्नातक इंजीनियर के तौर पर प्रारंभ किया था। इतने वर्ष में यही लगता है कि चुनौतियां व अवसर दोनों ही भरपूर हैं बस आपके भीतर उन्हें स्वीकार कर आगे बढ़ने की ललक होनी चाहिए। बाल्को प्रबंधन की कार्य शैली में अनेक सकारात्मक बदलाव हुए हैं। प्रबंधन ने महिलाओं को हर संभव अवसर दिए हैं। क्षमता और योग्यता साबित करना स्वयं महिलाओं पर निर्भर है।


सही दिशा में मेहनत से कार्य में महारत


वर्ष 2005 में प्रशिक्षु स्नातक इंजीनियर से कॅरियर प्रांरभ कर आज नेहा बख्श लीड रोल्ड प्रोडक्ट एंड प्रोसेस कंट्रोल के मुकाम पर पहुंच गई हैं। उन्होंने कुछ समय वाणिज्य विभाग में काम किया। फिर वेदांता मेडिकल रिसर्च फाउंडेशन से जुड़ीं। कुछ वर्ष कास्ट हाउस में काम करने के बाद अब रोल्ड प्रोडक्ट से जुड़ गई हैं। हमें हर तरह की जिम्मेदारियों को निभाने के लिए अडिग संकल्प के साथ तैयार रहना चाहिए। मेरा मानना है कि सही दिशा में मेहनत से सभी तरह के कार्य में महारत पाया जा सकता है।