बुधवार कोे केंद्र में थे महाराज, अब नजरें टिकीं इन दो चेहरों पर- शिवराज और प्रजापति

सवाल : भाजपा पर मप्र सरकार को गिराने के आरोप लग रहे हैं?
जवाब : हमने पहले दिन से कहा था, जब कांग्रेस 114 सीटें और भाजपा 109 सीटें जीती थी। तब भाजपा को वोट ज्यादा मिलने के बाद भी हमने कहा कि भाजपा सरकार नहीं गिराएगी। वह अपने अंदरूनी कलह से ही गिर जाए तो हम क्या करेंगे।
सवाल : मुख्यमंत्री एेसा कह रहे हैं कि भाजपा ने अपने पैसे से एयरक्राॅफ्ट दिया, रिसाॅर्ट का पैसा दिया और इस्तीफा लेने के लिए भेजा?
जवाब : भाजपा का इसमें कोई रोल नहीं है। परेशान होकर अगर कोई कहता है कि उनका इस्तीफा सही तरीके से पहुंच जाए तो उसे सिर्फ पहुंचाने का काम किया गया है। उन्होंने खुद ही इस्तीफा लिया।
 


सवाल : आरोप है कि मुख्य विपक्षी पार्टी होने के नाते भाजपा प्रदेश को फिर चुनाव की तरफ धकेल रही है। यह जनता के भरोसे के टूटने जैसा है?
जवाब : वचन पूरे नहीं करना जनता का भरोसा तोड़ना है। भाजपा ने एेसा नहीं किया। मप्र में पहली बार वल्लभभवन दलाली का अड्डा बना। निजी लोग हावी हुए। मप्र को निचोड़ दिया गया। भ्रष्टाचार चरम पर है। इससे बड़ा संकट क्या होगा। मप्र को तबाह और बर्बाद कर दिया।  
 


सवाल : 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद क्या संवैधानिक संकट है, यदि है तो भाजपा की जिम्मेदारी क्या होगी?
जवाब : अल्पमत में होने के बाद भाजपा गिराने जैसा काम नहीं करेगी। लेकिन जब संवैधानिक संकट की स्थिति होगी तो यह स्पष्ट है कि कमलनाथ सरकार को विश्वास मत साबित करना होगा।
 


सवाल : भाजपा को अपने विधायकों पर भरोसा है तो फिर उन्हें बाड़ा बंदी करके मप्र से बाहर क्यों ले जाया गया?
जवाब : वे बाहर गए जरूर हैं लेकिन उनका प्रशिक्षण वर्ग चलेगा। कविताएं सुनाएंगे। सुबह-शाम उनकी ट्रेनिंग होगी। भाजपा को बाड़ा-बंदी या किलेबंदी की जरूरत नहीं है।          
 


सवाल : मप्र में सियासी उठा-पटक क्या दूसरे राज्यों तक भी जाएगी?
जवाब : तकलीफ होती है कि कांग्रेस के शीर्षस्थ नेताओं को फुरसत नहीं है कि वे अपने युवा नेताओं से संवाद स्थापित करे। मप्र में सिंधिया के साथ यही था और राजस्थान में सचिन पायलट के बारे में भी सुन रहे हैं कि वे सरकार से नाराज हैं। एेसे तो कांग्रेस का बंटाढार हो जाएगा। 


सवाल : सिंधिया के आने के बाद अब मप्र भाजपा की राजनीति में कितना बदलाव होगा?
जवाब : वे युवा, कल्पनाशील और संवेदनशील नेता हैं। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्ढा ने भी ने कहा कि उनका उपयोग होगा। मुख्यधारा में काम करने के अवसर मिलेंगे। मप्र में भाजपा और मजबूत होगी।
 


सवाल : विधानसभा चुनाव में सिंधिया को चेहरा मानकर ‘..माफ करो महाराज’ कैंपेन चलाया था, अब कैसे साथ काम करेंगे? 
जवाब : यह सही है कि वे सामने चेहरा था। लेकिन अब वे भाजपा में हैं। वे वैसी परंपरा से आते हैं, जिसने राजनीति को सेवा माना है। इसलिए ‘स्वागत है महाराज, साथ हैं शिवराज'।


मजबूत विचारों वाले हैं : मिश्रा
सिंधिया मजबूत विचारों वाले हैं। राजनीति को जनसेवा का माध्यम मानते हैं। वे और हम मिलकर जनसेवा कदम से कदम मिलाकर करेंगे।


स्पीकर को 7 दिन में लेना होगा फैसला


मौजूदा राजनीतिक संकट के दौर में विधानसभा अध्यक्ष एन.पी. प्रजापति की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण हो गई है। उधर, कांग्रेस ज्यादा से ज्यादा समय लेना चाहती है ताकि रूठे विधायकों को मनाया जा सके।  विधानसभा सचिवालय को सभी 22 विधायकों के इस्तीफे मिल चुके हैं, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष का कहना है कि वह सभी विधायकों से व्यक्तिगत रूप से मिलने और उनकी वीडियोग्राफी के बाद ही इस्तीफों पर निर्णय लेंगे। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक उन्हें सात दिन में फैसला लेना है, यह सात दिन विधायकों के इस्तीफा देने की तिथि से शुरू होंगे या फिर अध्यक्ष की मुलाकात से यह फैसला विधानसभा अध्यक्ष को ही करना है।  


जिस दिन विधानसभा सत्र शुरू होता है उसी दिन विधानसभा की कार्यमंत्रणा समिति की मीटिंग होती है, और उसी आधार पर विधानसभा के कामकाज का एजेंडा तय होता है।                                  


सदन के अंदर व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए अनुशासन संबंधी सारे अधिकार विधानसभा अध्यक्ष के पास ही नीहित है। इसे वह सदन में एक प्रस्ताव लाकर लागू कर सकता है।


पार्टियां दलबदल कानून के तहत विधायकों को अनुशासन में रखने के लिए व्हीप जारी करती है और उसके उल्लंघन पर कार्रवाई के लिए विधानसभा अध्यक्ष को प्रस्ताव भेजती है। उसे लागू करने का काम विधानसभा अध्यक्ष के पास है। वह इसमें अपने विवेक के आधार पर निर्णय लेता है।


पार्टियों के अनुशासन भंग करने पर विधानसभा अध्यक्ष सदस्यों के निलंबन, बहिष्कृत करने का फैसला भी ले सकता है।


विधानसभा अध्यक्ष ही सदन में होने वाली बहस के समय का निर्धारण करते हैं और अगर वह चाहे तो सदस्यों के बोलने का समय घटा या बढ़ा भी सकते हैं। 


विधानसभा सत्र का कार्यक्रम
16 मार्च : विधानसभा सत्र शुरू होगा। राज्यपाल का अभिभाषण।
17 मार्च : सत्रावसान के दौरान विशिष्ट व्यक्तियों के निधन पर श्रद्धांजलि। सदन दिन के लिए स्थगित होगा।
18 मार्च : सरकार 2020-21 का बजट व लेखानुदान पेश करेगी।
19 मार्च : राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव। चर्चा के बाद जरूरी होने पर वोटिंग। (सरकार की ताकत की खरी परीक्षा इस दिन होगी। यह सत्र कांग्रेस लंबा चलाने की कोशिश करेगी, ताकि उसे समय मिल जाए)। सत्र का यह कार्यक्रम फिलहाल राज्य सरकार ने तय किया है। उसका उद्देश्य है कि उसे शक्ति परीक्षण से पहले ज्यादा से ज्यादा समय मिले ताकि ज्यादा से ज्यादा विधायकों को मनाया जा सके।


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ग्वालियर। ग्वालियर में तीन मंजिला एक मकान में भीषण आग लगने से सात लोगों की जिंदा जलकर दर्दनाक मौत हो गई। जबकि तीन अन्य गंभीर रूप से झुलसे लोगों का इलाज चल रहा है। फायर बिग्रेड आग पर काबू पाने की कोशिश कर रहा है। घटनास्थल पर जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, नगर निगम कमिश्नर सहित प्रशासन के आला अधिकारी और राजनेता भी पहुंच गए। घटना इंदरगंज थाने से महज 100 मीट की दूरी पर हुई। आग कैसे लगी इसकी जानकारी नहीं मिली है।  जानकारी के मुताबिक ग्वालियर के इंदरगंज चैराहे पर रोशनी घर मोड़ पर तीन मंजिला मकान में गोयल परिवार रहता है। हरिमोहन, जगमोहन, लल्ला तीनों भाई की फैमिली रहती है जिसमें कुल 16 लोग शामिल हैं। इस मकान में एक पेंट की दुकान भी है जिसमें आधी रात को भीषण आग लग गई। दुकान की ऊपरी मंजिल में बने मकान में परिवार आग की लपटों में फंस गया।  देखते ही देखते आग ने विकराल रूप धारण कर लिया। मामले की जानकरी मिलते ही फायर ब्रिगेड अमला मौके पर पहुंच गया और आग में फंसे परिवार को बचाने लगा। लेकिन तब तक सात लोगों की जिंदा जलकर मौत हो चुकी थी। एडिशनल एसपी ने सात लोगों की मृत्यु की पुष्टि की है। सुबह मौके पर सांसद विवेक शेजवलकर, पूर्व विधायक मुन्नालाल गोयल, चेम्बर अध्यक्ष विजय आदि भी पहुंचे। इस भीषण अग्निकांड की घटना में मृत लोगों के नाम इस प्रकार हैं - 1. आराध्या पुत्री सुमित गोयल उम्र 4 साल 2. आर्यन पुत्र साकेत गोयल उम्र 10 साल 3. शुभी पुत्री श्याम गोयल उम्र 13 साल 4. आरती पत्नी श्याम गोयल उम्र 37 साल 5. शकुंतला पत्नी जय किशन गोयल उम्र 60 साल 6. प्रियंका पत्नी साकेत गोयल उम्र 33 साल 7. मधु पत्नी हरिओम गोयल उम्र 55 साल 
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