पटियाला / अक्सर आप ने खेल मैदान साथ में खेलते या भाई बहन की जोड़ी या स्कूल में दो सगे भाइयों को साथ पढ़ते देखा होगा, लेकिन दो सगे भाइयों के बीच खेल प्रतिस्पर्धा शायद सुनकर अजीब लगे। ओडिशा के भुवनेश्वर में खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स के आखिरी दिन रविवार को पटियाला के दो सगे भाई के बीच बॉक्सिंग में शानदार फाइनल मुकाबला देखने को मिला। बड़े भाई ने छोटे भाई को हराकर गोल्ड मेडल अपने नाम कर लिया।
'रिंग में हम भूल जाते हैं कि हम भाई हैं'
बॉक्सिंग में 49 किलोग्राम भार वर्ग में पंजाबी यूनिवर्सिटी के बॉक्सर गुरविंदर सिंह और उनके छोटे भाई चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ के हरविंदर के बीच गोल्ड के लिए मुकाबला हुआ। इसमें बड़े भाई गुरविंदर ने छोटे भाई हरविंदर को हाराया। मैच के बाद गुरविंदर और हरविंदर का कहना है कि जब हम रिंग पर उतरते हैं तो यह भूल जाते हैं कि हम भाई हैं। हम दोनों किसी भी कीमत पर जीताना चाहते हैं। फाइट के दौरान गुरविंदर की दाहिनी आंख के ऊपर चोट भी लग गई थी, लेकिन उन्होंने खेलना जारी रखा और गोल्ड जीता।
दोनों भाई एक ही कोच से लेते हैं ट्रेनिंग
गुरविंदर और हरविंदर दोनों भाई क्यूबा के कोच बीआई बर्नादेज से कोचिंग लेते हैं। क्यूबा के इस कोच को भारतीय मुक्केबाजी में क्रांति लाने का श्रेय दिया जाता है, यहां तक कि 2012 में द्रोणाचार्य पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले गैर-भारतीय बने। कोच बीआई बर्नादेज ने कहा कि दोनों भाइयों का खेल में उज्ज्वल भविष्य है। दोनों अच्छे मुक्केबाज हैं और कड़ी मेहनत करते हैं।गुरविंदर ने 13 साल की उम्र में बॉक्सिंग शुरू की थी। एक साल बाद छोटे भाई ने शुरू की थी। गुरविंदर ने कहा कि कैरियर के शुरुआत में क्रिकेट ट्रायल के लिए जाना चाहता था, लेकिन पिता ने बॉक्सिंग चुनने के लिए कहा। मेरे बाद मेरे छोटे भाई ने भी एक साल बाद बॉक्सिंग शुरू कर दी। मुझे खुशी है कि हम दोनों ने एक ही खेल को चुना। उसके खिलाफ लड़ना मजेदार है।