बच्चों से रोज दस घंटे मेहनत, ठीक से पैसे भी नहीं देता था

कोरबा । कमाई के लालच में परिजनों की बात अनसुनी कर तीन किशोर पढ़ाई छोड़ घर से काम करने निकल पड़े। उन्हें अपनी जिंदगी उस वक्त नर्क लगने लगी, जब वे शोषित व प्रताड़ित होने लगे। मालिक उनसे हर रोज नौ से दस घंटे जमकर काम लेता पर खून-पसीने का उचित मेहनताना न देता। घर की याद आई, तो मजदूरी लेकर जाने की बात पर डांट-फटकार ही नहीं, गाली-गलौज तक सुनने पड़ती। बच्चों को काम करते देख आसपास के लोगों को दया आ गई और उन्होंने चाइल्ड लाइन 1098 को सूचित कर दिया। तीनों किशोर छुड़ा लिए गए और उन्हें उनके परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया है। बच्चों के लिए 24 घंटे निशुल्क आपातकालीन फोन कॉल सेवा 1098 के माध्यम से चाइल्ड लाइन कोरबा की टीम को यह सूचना प्राप्त हुई थी। करतला ब्लॉक के ग्राम खूंटाकुड़ा में थ्रेशर मशीन से पैरा कटाई का काम चल रहा है, जिसमें अरसेना पंचायत के तीन नाबालिग बच्चों से जबरदस्ती काम करवाया जा रहा है। जानकारी की पुष्टि के लिए चाइल्ड लाइन 1098 टीम ने श्रम विभाग को सूचना प्रदान की। संयुक्त रूप से कार्रवाई करते हुए गांव में पूछताछ की गई। काफी मशक्कत के बाद बच्चे बरामद कर लिए गए जो यहां पिछले 14 दिन से काम कर रहे थे। थ्रेशर के मालिक ने पहले उन्हें रायगढ़ व उसके बाद कोरबा लाकर रोज नौ से दस घंटे काम कराता। इसके बदले उन्हें प्रतिदिन 200 रुपये की रोजी पर काम करया जा रहा था। गांव के ही एक घर में रुकने व भोजन की व्यवस्था की गई थी। ज्यादा से ज्यादा काम लिए जाने के लिए मालिक की ओर से गाली-गलौज कर मानसिक रूप से प्रताड़ित भी किया जा रहा था। बच्चे जब अपनी मजदूरी मांगकर घर जाने की अनुमति मांगने के बाद भी मालिक न तो पैसे का भुगतान कर रहा था, न ही घर जाने दे रहा था। टीम ने बच्चों को छुड़वाकर बाल कल्याण समिति में प्रस्तुत किया था, जहां से उन्हें उनके पिता के सुपुर्द कर दिया गया है।


 

बच्चों को जंगल में भगा खुद फरार


जब चाइल्ड लाइन व श्रम विभाग की संयुक्त टीम गांव पहुंची तो पैरा कटाई की सूचना सही पाई गई। पर जहां काम चल रहा था, वहां किसी भी नाबालिग बच्चे को काम में लगाए जाने से इनकार किया गया। मौके के आसपास के बच्चों व स्थानीय लोगों ने बताया की 112 की गाड़ी देखकर बच्चों को जंगल की तरफ भगा दिया गया है। गांव के उन बच्चों की सहायता से चाइल्ड लाइन टीम ने कुछ देर बाद बच्चों को जंगल से बरामद कर लिया। मौके का फायदा उठाकर थ्रेशर का मालिक गाड़ी छोड़ अपने साथी के साथ फरार हो गया। फरार आरोपित की तलाश की जा रही है, ताकि नियमानुसार कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके।


 

माता-पिता ने मना किया पर नहीं मानें


बच्चों ने बताया कि उनके अपने ही गांव के एक किशोर के बहकावे में वे आ गए और पैसा कमाने की लालच में माता-पिता के मना करने के बाद भी वे उसके साथ बस से इस गांव आ गए। माता-पिता की समझाइश दरकिनार करने का नतीजा उन्हें इस तरह भुगतना पड़ा। संपूर्ण कार्रवाई जिला कार्यक्रम अधिकारी आनंद प्रकाश किसपोट्टा, जिला बाल संरक्षण आधिकारी दया दास महंत, चाइल्ड लाइन के डायरेक्टर डिक्सन मसीह के मार्गदर्शन में किया गया। श्रम विभाग करतला के लेबर इंस्पेक्टर राम रतन कंवर, चाइल्ड लाइन कोरबा केंद्र समन्वयक आशीष दान, टीम मेंबर अनुराधा सिंह व राज नारायण सिदार शामिल रहे।


करतला थाने में दर्ज की गई रिपोर्ट


बच्चों की सहमति से घटना की सूचना गांव के के सरपंच संतोषी राठिया को प्रदान की गई और बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष मधु पांडेय को सूचित कर एवं करतला थाने में रोजनामचा रिपोर्ट दर्ज कर बच्चों को आश्रय प्रदान किया गया। मामले को संज्ञान में लेते हुए बाल कल्याण समिति की ओर से कार्रवाई के लिए श्रम विभाग को प्रेषित किया। इसके साथ ही छुड़ाए गए सभी बच्चों को समझाइश के पश्चात उनके माता-पिता को सुपुर्द कर दिया गया। जहां 14 वर्ष से कम उम्र में पूर्ण रूप से, वहीं 18 वर्ष से कम उम्र में खतरनाक स्थल पर कार्य करवाना बाल श्रम के अंतर्गत आता है।


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