नक्सल प्रभावित 6 गांव में 4 साल से बंद थे स्कूल

नक्सल प्रभावित 6 गांव में 4 साल से बंद थे स्कूल


सुरक्षा बलों ने दोबारा खुलवाया ताकि गांव में ही पढ़ सकें बच्चे


कवर्धा / नक्सल प्रभावित 6 गांव में 4 साल से सरकारी स्कूल बंद थे। इसके कारण यहां के बच्चों की पढ़ाई छूट गई थी। गांव वाले चाहते थे कि उनके बच्चे पढ़े, लेकिन स्कूल बंद होने से यह मुमकिन न था। नक्सल मोर्चे पर तैनात सुरक्षा बलों ने इसे गंभीरता से लिया। बंद स्कूलों को दोबारा खुलवाया, ताकि बच्चे गांव में ही रहकर पढ़ाई कर सकें। गुमराह होने से बचें।



इन बच्चों की पढ़ाई का खर्च पुलिस विभाग उठा रही है। स्कूलों में दर्ज 10-12 बच्चे ऐसे भी हैं, जिन्हें पुलिस ने कवर्धा के स्कूलों में दाखिला दिलाया है। ये बच्चे यहीं हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। नक्सल प्रभावित गांव बोक्करखार में तो पुलिस ने कोचिंग क्लासेस भी शुरू कराई है, जहां 10वीं-12वीं के 15 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। ये बच्चे इस साल बोर्ड की ओपन परीक्षा भी दिलाएंगे। खास बात यह है कि इन स्कूलों में स्थानीय युवा जो 10वीं-12वीं पास हैं, उन्हें पढ़ाने के लिए 8 शिक्षक के तौर पर नियुक्त किया गया है। इन्हें निश्चित मानदेय भी दिया जा रहा है। शिक्षा विभाग की ओर से इन स्कूलों में मध्याह्न भोजन भी शुरू करा दिया गया है।


पंडरीपथरा में बच्चों के लिए स्कूल भवन भी बनवाया
पिछले साल पुलिस ने नक्सल प्रभावित ग्राम पंडरीपथरा और सौरू के बंद स्कूलों को खुलवाया था। पंडरीपथरा में झोपड़ी में कक्षाएं लगती थी, लेकिन अब नया भवन बन गया है। शिक्षक की भी व्यवस्था कर दी गई। स्कूल में कक्षा पहली से 5वीं तक 19 बच्चे पढ़ाई कर रहे थे। समय-समय पर एसपी डॉ. लाल उमेद सिंह और संबंधित थानों की पुलिस इन स्कूलों में पहुंचते हैं। बच्चाें को किताबें और यूनिफार्म भी दी है।


एमपी बॉर्डर से लगा गांव बंदूक कुंदा, 28 बच्चे दर्ज
कवर्धा से करीब 60 किमी दूर मध्यप्रदेश बॉर्डर से लगा हुआ जिले के नक्सल प्रभावित गांव बंदूक कुंदा की बसाहट है। गांव में करीब 25 परिवार 150 लोग निवासरत हैं। वर्ष 2016 में युक्तियुक्तकरण से यहां का स्कूल बंद हो गया था। नजदीकी स्कूल 7 किमी दूर था। असुरक्षा देख माता-पिता अपने बच्चों को वहां पढ़ाई के लिए नहीं भेज रहे थे। पुलिस ने बंद स्कूल को खुलवाया। अभी इस स्कूल में 28 बच्चे दर्ज हैं।


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ग्वालियर। ग्वालियर में तीन मंजिला एक मकान में भीषण आग लगने से सात लोगों की जिंदा जलकर दर्दनाक मौत हो गई। जबकि तीन अन्य गंभीर रूप से झुलसे लोगों का इलाज चल रहा है। फायर बिग्रेड आग पर काबू पाने की कोशिश कर रहा है। घटनास्थल पर जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, नगर निगम कमिश्नर सहित प्रशासन के आला अधिकारी और राजनेता भी पहुंच गए। घटना इंदरगंज थाने से महज 100 मीट की दूरी पर हुई। आग कैसे लगी इसकी जानकारी नहीं मिली है।  जानकारी के मुताबिक ग्वालियर के इंदरगंज चैराहे पर रोशनी घर मोड़ पर तीन मंजिला मकान में गोयल परिवार रहता है। हरिमोहन, जगमोहन, लल्ला तीनों भाई की फैमिली रहती है जिसमें कुल 16 लोग शामिल हैं। इस मकान में एक पेंट की दुकान भी है जिसमें आधी रात को भीषण आग लग गई। दुकान की ऊपरी मंजिल में बने मकान में परिवार आग की लपटों में फंस गया।  देखते ही देखते आग ने विकराल रूप धारण कर लिया। मामले की जानकरी मिलते ही फायर ब्रिगेड अमला मौके पर पहुंच गया और आग में फंसे परिवार को बचाने लगा। लेकिन तब तक सात लोगों की जिंदा जलकर मौत हो चुकी थी। एडिशनल एसपी ने सात लोगों की मृत्यु की पुष्टि की है। सुबह मौके पर सांसद विवेक शेजवलकर, पूर्व विधायक मुन्नालाल गोयल, चेम्बर अध्यक्ष विजय आदि भी पहुंचे। इस भीषण अग्निकांड की घटना में मृत लोगों के नाम इस प्रकार हैं - 1. आराध्या पुत्री सुमित गोयल उम्र 4 साल 2. आर्यन पुत्र साकेत गोयल उम्र 10 साल 3. शुभी पुत्री श्याम गोयल उम्र 13 साल 4. आरती पत्नी श्याम गोयल उम्र 37 साल 5. शकुंतला पत्नी जय किशन गोयल उम्र 60 साल 6. प्रियंका पत्नी साकेत गोयल उम्र 33 साल 7. मधु पत्नी हरिओम गोयल उम्र 55 साल 
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