खरीदी केंद्र पर बारिश से बचाने के इंतजाम नहीं किए

खरीदी केंद्र पर बारिश से बचाने के इंतजाम नहीं किए


खुले में बर्बाद हो रहा है धान


बिलासपुर / मौसम विभाग के बारिश के अलर्ट के बावजूद खरीदी केंद्रों में धान बरबाद हो रहा है। सुबह से रात तक करोड़ों का धान बारिश में भीगता रहा। पूर्व में हुई बारिश से भीगे धान आज फिर भीग गए तो वे अंकुरित हो गए। न धान को कैप कवर ढका गया है और न ही धान को बचाने के लिए किसी और तरह के इंतजाम ही किए गए हैं। धान को भीगकर खराब होने के लिए छोड़ दिया गया है।


धान को बचाने न कर्मचारी गंभीर है और न ही अधिकारी। खरीदी केंद्रों से लेकर संग्रहण तक में यही हाल है। अगर बारिश ऐसे ही होती रही और धान को नहीं बचाया गया तो करोड़ों का नुकसान तय है। इधर संग्रहण केंद्रों में भीगे हुए धान को कैप कवर से ढंककर बदइंतजामी छिपाने के लिए गेट पर ताला लगा दिया जा रहा है। दैनिक भास्कर टीम ने बारिश के दौरान मोपका संग्रहण केंद्र और गतौरा खरीदी केंद्र जाकर जायजा लिया। वहां भारी बदइंतजामी मिली।


कहीं साड़ी तो कहीं तिरपाल से बचा रहे धान अब 6 दिन में खरीदना है 15 लाख क्विंटल


ये तस्वीरें महासमुंद के बेलसोंडा और बिरकोनी स्थित धान खरीदी केंद्रों की हैं। बारिश के कारण यहां पिछले दो दिनों से धान खरीदी नहीं हो रही है। खरीदी हो पाए इसके लिए समिति की ओर से काफी प्रयास भी किया जा रहा है। गीली जमीन को सुखाने के लिए इन केंद्रों में साड़ियां बिछा दी गई। कई केंद्रों में नालियां बनाकर पानी निकालने का प्रयास किया गया, फिर भी किसानों का धान खरीदा नहीं जा सका। यही कारण है कि शुक्रवार को 1.97 लाख क्विंटल धान खरीदी के लिए टोकन काटा गया था, लेकिन इसमें से केवल 400 क्विंटल धान की खरीदी हो पाई। आज और कल (शनिवार-रविवार) को खरीदी बंद रहेगी। जिले में लक्ष्य के मुताबिक अभी भी 13 हजार किसानों से 15 लाख क्विंटल खरीदी की जानी है और केवल 6 दिन बाकी हैं। हालांकि जिला विपणन अधिकारी संतोष पाठक का दावा है कि 90 प्रतिशत किसानों का धान खरीद लिया गया है। खरीदी के लिए सप्ताहभर का समय और है। ऐसे में रोजाना 2 लाख क्विंटल धान की खरीदी की जाएगी और किसानों का पूरा धान खरीदा जाएगा।


कर्मचारी खेलते रहे ताश, तापते रहे आग, बारिश में भीगता रहा करोड़ों का धान


शुक्रवार को भास्कर टीम सीपत इलाके के ग्राम गतौरा स्थित खरीदी केंद्र पहुंची। वहां कुछ बोरों को छोड़कर बाकी धान के बोरे खुले में भीग रहे थे। बारिश कभी तेज तो कभी धीमी हो रही थी और बारिश का पानी बोरों के पास आकर रुक रहा था। वहीं वहां भीतर जाने पर एक झोपड़ी में कुछ कर्मचारी बैठे थे। एक ने खुद को चौकीदार बताते हुए संस्था प्रभारी को प्रिंटर बनवाने के लिए बिलासपुर जाना बताया। कुछ कर्मचारी वहां ताश खेल रहे थे जबकि चौकीदार आग ताप रहा था। वहीं धान बारिश में भीग रहा था। वहां परसदा, रलिया, भिलई और गतौरा गांव का धान खरीदा गया और उसे वहीं पर खुले में सड़ने के लिए बगैर कैप कवर से ढंके छोड़ दिया गया। यह पूछने पर कि बारिश से बचाव के उपाय क्यों नहीं किए जा रहे, कर्मचारियों ने बताया कि केवल 6 तारपोलिन मिला था। उसी से जितना हो सका ढंका गया है। सभी धान को ढंक पाना संभव नहीं है।