सरकारी आदिवासी हॉस्टल के बाथरूम में पहली कक्षा के छात्र की गला दबाकर हत्या



भोपाल / राजधानी के पटेल नगर ई-सेक्टर स्थित शासकीय अनुसूचित जाति बालक माध्यमिक आश्रम शाला में पहली कक्षा के छात्र 7 वर्षीय सूरज खरते की गला दबाकर हत्या कर दी गई। बच्चा बुधवार रात करीब पौने आठ बजे हॉस्टल की बाथरूम में गिरा मिला था। बाद में उसे अस्पताल में मृत घोषित कर दिया।


गुरुवार को जब शव की शॉर्ट पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो उसमें हत्या की पुष्टि हुई। इसके बाद प्रशासन हरकत में आया। कलेक्टर तरुण पिथोड़े ने हॉस्टल अधीक्षिका रेचल राम और सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग के मंडल संयोजक शकील कुरैशी को सस्पेंड कर घटना की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दे दिए।


पटेल नगर ई-सेक्टर स्थित शासकीय अनुसूचित जाति बालक माध्यमिक आश्रम शाला में तीन बॉथरूम हैं। बच्चे पहली और दूसरी मंजिल पर रहते हैं। बुधवार शाम करीब साढ़े सात बजे जब सूरज खरते ग्राउंड फ्लोर स्थित बॉथरूम के पास बेसुध मिला। उस वक्त सभी बच्चे पहली मंजिल पर थे। हालांकि बच्चे अक्सर पहली मंजिल के बॉथरूम का ही इस्तेमाल करते हैं।


पिपलानी पुलिस का दावा है कि हत्यारा हॉस्टल के अंदर का ही कोई हो सकता है, लेकिन हर पहलू पर जांच करने के बीच पुलिस का सबसे बड़ा सवाल है कि सूरज शाम के वक्त ग्राउंड फ्लोर के बॉथरूम में आया ही क्यों? शॉर्ट पीएम रिपोर्ट में सूरज के सिर पर भी चोट का पता चला है। ये चोट गिरने से आई या कोई और वजह है। एक निजी तीन मंजिला मकान में 2016-17 से संचालित हॉस्टल में 56 बच्चे रहते हैं।


ग्राउंड फ्लोर पर दो बॉथरूम और चार क्लासरूम हैं। स्कूल खत्म होने पर बच्चे पहली और दूसरी मंजिल पर बने कमरों में सोने चले जाते हैं। बच्चों की देखरेख का काम चौकीदार जगदीश पत्नी रेखा और नौकर संतोष पत्नी रानी के साथ करते हैं। रेचल राम हॉस्टल शुरू होने के समय से ही यहां की अधीक्षिका हैं। जगदीश और संतोष के कमरे पहली मंजिल पर ही हैं। 


बड़े भाई के साथ रहता था सूरज


हॉस्टल में सूरज अपने बड़े भाई दीपक के साथ रहता था। चौकीदार जगदीश ने पुलिस को बताया कि बाथरूम हॉस्टल के ग्राउंड फ्लोर पर है। उसने ही सबसे पहले बच्चे को देखा था। शॉर्ट पीएम रिपोर्ट के मुताबिक बच्चे के सिर पर चोट का जख्म है, लेकिन मौत की यह वजह नहीं है।


सूरज को सबसे पहले इस हाल में दीपक ने देखा था


पिपलानी पुलिस ने हॉस्टल के स्टाफ से पूछताछ शुरू कर दी है। इस दौरान चौकीदार जगदीश के भी बयान लिए गए। अधीक्षिका रेचल राम ने बताया कि रात करीब पौने आठ बजे जगदीश ने कॉल कर सूरज के बॉथरूम के पास गिरे होने की सूचना दी थी, जबकि जगदीश ने पुलिस को बताया कि वह बच्चों का शोर सुनकर पहली मंजिल से ग्राउंड फ्लोर पर आया था।


पुलिस सूत्रों ने बताया कि सूरज को सबसे पहले इस हाल में उसके बड़े भाई दीपक ने देखा था। दीपक ने हॉस्टल में रहने वाले एक अन्य बच्चे को रोते हुए इसकी सूचना दी। तब जगदीश नीचे आया था। डीआईजी इरशाद वली और एएसपी संजय साहू गुरुवार रात मौके पर पहुंचे।


आरोप- एक कमरे में 11-11 बच्चे सोते हैं


सूरज के पिता राजेश मजदूरी करते हैं। उनके तीन बच्चे हैं दीपक, सूरज और दीपेश। उन्होंने बताया कि दीपक का इस हॉस्टल में पिछले साल ही चयन हुआ था और सूरज इसी साल अगस्त में यहां आया है। पिता का आरोप है कि बच्चों को न खाना सही मिलता था और न ही रहने की अच्छी व्यवस्था थी। एक-एक कमरे में 11-11 बच्चों को सुलाया जाता था।


बच्चे को अस्पताल पहुंचाने में लगाई देर, वार्डन सस्पेंड


प्रारंभिक जांच में पता चला है कि आश्रम की वार्डन रेचल राम ने बच्चे को बेहोशी की हालत में मिलने के बाद देरी से अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया। जिसके आधार पर वार्डन को सस्पेंड कर दिया गया है। इधर, इस आश्रम की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी मंडल संयोजक शकील कुरैशी को दी गई थी, जिन्होंने इसकी जानकारी अफसरों को नहीं दी। इन्हें भी दोषी मानते हुए सस्पेंड कर दिया है।


खाने को लेकर बच्चों ने की थी शिकायत


एक सप्ताह पहले ही आश्रम शाला में रहने वाले बच्चों ने सहायक आयुक्त आदिवासी विकास अवनीश चतुर्वेदी से आश्रम शाला में अच्छा खाना नहीं मिलने की शिकायत की थी। शिकायत में बच्चों ने बताया था कि वार्डन का व्यवहार भी हमारे साथ अच्छा नहीं रहता है। इस मामले की भी जांच चल रही है।



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