, दस स्कूलों के बच्चे भी नहीं पहुंचे
पुलिस लाइन / स्वामी विवेकानंद जी की जयंती पर रविवार को पुलिस लाइन ग्राउंड में सामूहिक सूर्य नमस्कार का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में जिला प्रशासन समेत शहर के सभी बच्चों की सहभागिता करनी थी। जनप्रतिनिधियों को भी शामिल करना था। लेकिन शिक्षा विभाग ने रुचि नहीं दिखाई। जिसके चलते दो-तीन स्कूल के बच्चे और कुछ अधिकारी ही पहुंचे। जनप्रतिनिधि भी शामिल नहीं हुए जिससे देश व्यापी कार्यक्रम की धज्जियां उड़ गईं।
हर साल युवाओं के प्रेरणास्रोत विवेकानंद की जयंती पर शिक्षा विभाग द्वारा सामूहिक सूर्य नमस्कार का आयोजन स्टेडियम में किया जाता था। इस कार्यक्रम में ज्यादा से ज्यादा लोगों को शामिल करने के लिए शिक्षा विभाग द्वारा आमंत्रित किया जाता है। सरकारी और निजी स्कूलों को पत्र के माध्यम से अवगत कराया जाता है। जनप्रतिनिधियों, नगर पालिका जनप्रतिनिधियों को भी पत्र के माध्यम से आमंत्रित किया जाता है। लेकिन इस बार शिक्षा विभाग ने सामूहिक सूर्य नमस्कार में सिर्फ औपचारिकता अदा की। शिक्षा विभाग ने इस बार यह कार्यक्रम स्टेडियम के बजाए पुलिस लाइन में कराया जिससे वहां काफी कम संख्या में लोग पहुंचे। जिला प्रशासन की ओर से सिर्फ एडीएम विवेक रघुवंशी ही दिखाई दिए। अन्य विभागों के अफसर, कर्मचारी नदारद थे। यहां तक कि शिक्षा विभाग का अमला भी नहीं था। सरकारी स्कूलों के बच्चे नहीं थे। प्राइवेट स्कूलों से ही बच्चे शामिल हुए। जिससे पूरा कार्यक्रम केवल औपचारिकताओं में सिमट गया।
हर साल युवाओं के प्रेरणास्रोत विवेकानंद की जयंती पर शिक्षा विभाग द्वारा सामूहिक सूर्य नमस्कार का आयोजन स्टेडियम में किया जाता था। इस कार्यक्रम में ज्यादा से ज्यादा लोगों को शामिल करने के लिए शिक्षा विभाग द्वारा आमंत्रित किया जाता है। सरकारी और निजी स्कूलों को पत्र के माध्यम से अवगत कराया जाता है। जनप्रतिनिधियों, नगर पालिका जनप्रतिनिधियों को भी पत्र के माध्यम से आमंत्रित किया जाता है। लेकिन इस बार शिक्षा विभाग ने सामूहिक सूर्य नमस्कार में सिर्फ औपचारिकता अदा की। शिक्षा विभाग ने इस बार यह कार्यक्रम स्टेडियम के बजाए पुलिस लाइन में कराया जिससे वहां काफी कम संख्या में लोग पहुंचे। जिला प्रशासन की ओर से सिर्फ एडीएम विवेक रघुवंशी ही दिखाई दिए। अन्य विभागों के अफसर, कर्मचारी नदारद थे। यहां तक कि शिक्षा विभाग का अमला भी नहीं था। सरकारी स्कूलों के बच्चे नहीं थे। प्राइवेट स्कूलों से ही बच्चे शामिल हुए। जिससे पूरा कार्यक्रम केवल औपचारिकताओं में सिमट गया।