प्रदर्शन में हिंसा और आगजनी के पीछे पीएफआई का हाथ

, संगठन पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी: पुलिस



लखनऊ / उत्तर प्रदेश पुलिसकेंद्र से सिफारिश करने जा रहा है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर प्रतिबंध लगाया जाए। डीजीपी ओपी सिंह ने मंगलवार को बताया कि गृह विभाग के माध्यम से इस संबंध केंद्र को पत्र भेजा जा रहा है। उन्होंने कहा कि नागरिकता कानून के दौरान प्रदर्शनों में हिंसा और आगजनी के पीछे यही संगठन मास्टरमाइंड है। 19 दिसंबर को हुई हिंसा में यही संगठन शामिल था।


यूपी के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि पीएफआई सिमी का नया रूप है, लेकिन यह संगठन जिस रूप में भी सामने आएगा.. हम उसे कुचल देंगे। ऐसे संगठनों को बढ़ने नहीं दिया जाएगा।


पीएफआई के 22 सदस्यों को गिरफ्तार किया


नागरिकता संशोधन कानून बनने के बाद यूपी के 22 जिलों में प्रदर्शनों के दौरान हिंसा हुई। इस हिंसा में लखनऊ व शामली व अन्य जिलों से पीएफआई के 22 पदाधिकारी व सदस्य गिरफ्तार हुए। जिनके कब्जे से कई अहम दस्तावेज पुलिस के हाथ लगे, जो इस बात को साबित करते थे कि हिंसा में इस संगठन का सीधा हाथ था।


19 दिसंबर को लखनऊ के तीन थाना इलाके में हिंसा हुई थी। इस दौरान एक ऑटो चालक की मौत हो गई। इस मामले में पुलिस ने पीएफआई के अध्यक्ष वसीम अहमद, कोषाध्यक्ष नदीम, मंडल अध्यक्ष अशफाक को गिरफ्तार किया था। एसएसपी कलानिधि नैथानी ने इस बात का दावा भी किया था कि लखनऊ में हिंसा का मास्टरमाइंड यही संगठन है। राज्य के कई शहरों में पीएफआई ने भड़काऊ पोस्टर भी लगाए थे।


देश के 13 राज्यों में सक्रिय है पीएफआई


पीएफआई कट्टरपंथी इस्लामी संगठन है। ये दक्षिण भारत में ज्यादा सक्रिय है। दिल्ली, आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, केरल, झारखंड, पश्चिम बंगाल समेत 13 राज्यों में यह काम कर रहा है। पुलिस के मुताबिक, 6 महीने से यूपी में संगठन की गतिविधियां बढ़ गई थीं। झारखंड में पीएफआई पर प्रतिबंध लगाया गया है।


अखिलेश का आरोप- भाजपा ने हिंसा कराई


सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा- प्रदेश में हिंसा भाजपा ने कराई है। इनके 200 विधायक सदन में खिलाफ थे, जबकि नाराज विधायकों की संख्या 300 है। लोग लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रख रहे थे, लेकिन मुख्यमंत्री ने कहा बदला लेंगे। विधानसभा में कहा कि ठोंक देंगे। अपनी कुर्सी बचाने के लिए पुलिस को खुली छूट दी। निर्दोष की हत्या करवाई है।