पंजाब-हरियाणा में बढ़ रहे हैं मारवाड़ी नस्ल के घोड़े



अजमेर / राजस्थान के मारवाड़ी नस्ल के घोड़े दिनों दिन राज्य में कम होते जा रहे हैं, लेकिन पंजाब और हरियाणा में इसकी जबरदस्त डिमांड है और मुंह मांगे दाम भी मिल रहे हैं। पुष्कर मेले में पहुंचे पंजाब-हरियाणा के अश्वपालकों के पास ज्यादातर मारवाड़ी नस्ल के घोड़े हैं। मेले में अब तक पहुंचे कुल 3 हजार 451 घोड़ों में से करीब 75 फीसदी घोड़े मारवाड़ी नस्ल के हैं। इन की कदकाठी और स्टेमिना घोड़ों की अन्य ब्रीड काठियावाड़ी, नुगरा, सिंधी आदि से कई गुणा ज्यादा है। देखने में बेहद सुंदर मारवाड़ी नस्ल के इन घोड़ों की कीमतें 1 लाख से लेकर एक करोड़ तक हैं। मारवाड़ी और काठियावाड़ी घोड़े की शुद्ध नस्ल है, जबकि अन्य क्रासब्रीड हैं। मालूम हो कि महारणा प्रताप का घोड़ा चेतक मारवाड़ी नस्ल का था, उसकी कठ-काठी और ताकत के चर्चे आज तक होते हैं। जब भी महारणा प्रताप के अदम्य शोर्य और साहस की बात होती है, देश-विदेश के इतिहासकार चेतक का जिक्र जरूर करते हैं। राजस्थान के मारवाड़ी घोड़े की यह नस्ल अरबी घोड़ों को टक्कर देती है।


मारवाड़ी और काठियावाड़ी घोड़े की शुद्ध नस्लें हैं जबकि अन्य क्रॉसब्रीड


कुदरत, टारजन, रौनक, क्रिस्टल, बीबा, साहिबा, ग्रेस, विक्टोरिया, अलबक्ख और फूलनदेवी यह कोई फिल्म के किरदार नहीं बल्कि पंजाब और हरियाणा से पुष्कर मेले में पहुंचे घोड़े-घोड़ियां के नाम हैं। कुराली पंजाब के बाबा गगनदीप सिंह, शाहपुरा के हरिंदर सिंह, लुधियाना के अरजिंदर सिंह गिल सहित पंजाब से बड़ी संख्या में अश्वपालक यहां पहुंचे हैं। हरिंदर सिंह बताते हैं कि अश्व गुरू महाराज की सवारी है, विरासत है इसलिए परिवार के सदस्यों की तरह इसका पालन-पोषण करते हैं। सबसे ज्यादा मारवाड़ी नस्ल के घोड़े हैं, जिन्हें प्रदर्शन के लिए लेकर आए हैं। इनकी कदकाठी अन्य नस्लों से काफी अच्छी है। सु-प्रभात और अलबख्श देश के प्रसिद्ध घोड़ों में से हैं, जिनका नाम अश्वपालकों में अच्छी खासी पहचान रखता है।


अश्व पालक कर रहे हैं कंपीडिशन की तैयारी


पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डा. अजय अरोड़ा ने बताया कि - अश्वपालकों के लिए इस बार 11 नवंबर को मेला ग्राउंड में घोड़ों की प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है जिसमें बढ़चढ़ कर एंट्रीज आ रही हैं। अदंत यानि दो दांत वाले तीन साल की उम्र के घोड़ों के अलावा मेल व फीमेल अडल्ट की प्रतियोगिता होगी। अश्वपालक घोड़ों को लेकर रिंग में आएंगे, घोड़ों की कदकाठी और नस्ल के हिसाब से पशुपालन विभाग के अधिकारी बेस्ट हॉर्स का निर्णय करेंगे। वितेजा को पुरुस्कृत किया जाएगा।


अरबी घोड़ों के मुकाबले लंबी रेस का घोड़ा है मारवाड़ी नस्ल का घोड़ा
 


मारवाड़ी नस्ल का घोड़ा अरबी नस्ल के घोड़ों को टक्कर देता है। यह लंबी दौड़ का घोड़ा है, लेकिन राज्य में सरकारी अनदेखी के कारण इसकी संख्या पंजाब-हरियाणा में बढ़ते जा रही है। हालांकि जोधपुर और डूंदलो में मारवाड़ी नस्ल के घोड़ों के पालन-पोषण पर अच्छा काम हो रहा है, लेकिन जितना एक्सपोजर इसे मिलना चाहिए उतना राज्य में नहीं मिल रहा। पंजाब-हरियाणा में खान-पान अच्छा होने के कारण इन घोड़ों की परवरिश में कोई कमी नहीं छोड़ी जा रही है।


पशु क्रूरता नहीं हो इसलिए हार्स एंबुलेंस रखते हैं साथ


अमेरिका के रहने वाले हरजीत सिंह की हॉर्स एंबुलेंस पुष्कर मेले में खासा चर्चाओं में है। अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित यह एंबुलेंस खासतौर से घोड़ों के लिए तैयार की गई है, पिछले तीन सालों से हरजीत पुष्कर मेले में आ रहे हैं। हरजीत ने बताया कि मेले में इस बार बड़ा बदलाव यह देखने को मिला कि घोड़ों को लाने जाने के लिए अश्वपालक खास वाहनों का इस्तेमाल कर रहे हैं।


रेस जीतने पर रातों रात बढ़ जाते हैं दाम, 10 लाख की घोड़ी एक करोड़ में बिकती है


पशु चिकित्सक डा. चक्रवृत्ति सिंह ने बताया कि - मारवाड़ी और काठियावाड़ी प्योर नस्ल के घोड़े हैं जबकि अन्य मिक्सब्रीड के हैं। य घोड़े बीमार कम होते हैं, और स्टेमिना अन्य नस्लों की तुलना में अच्छा होता है। इसी तरह एक ब्रीड थोरो भी है, लेकिन पुष्कर मेले में इनकी संख्या बेहद कम है। कुछएक अश्वपालकों के पास यह ब्रीड है। यह गर्म और ठंडे प्रदेशों घोड़ों की क्रासब्रीड है। जिसका इस्तेमाल हार्स रेसिंग में किया जाता है। इनका इंड्यूरेंस अच्छा होता, लंबीरेस के घोड़े कहलाते हैं। आर्मी, पुलिस आैर अर्धसैनिक बलों के पास इसी ब्रीड के घोड़े हैं। स्टड बुक ऑफ इंडिया में थोरो नस्ल के घोड़ों की वंशावली दर्ज है, यानि इनके ग्रैंड पेरेंट्स और पेरेंट्स कहां से हैं व कौन हैं, इस बारे में पूरी जानकारी है। पुणे और दुबई के रेसकोर्स में घोड़ों की दौड़ होती है, शर्ते लगती हैं जो जीतता है उस चेन की घोड़ी की कीमत रातोकं रात 10 लाख से एक करोड़ तक पहुंच जाती है।