छतरपुर / नगर पालिका परिषद का कार्यकाल बुधवार रात 12 बजे समाप्त हो गया। कार्यकाल पूरा होने पर नपा अध्यक्ष और 20 पार्षदों के पद शून्य हो गए। अब अध्यक्ष व पार्षद किसी भी काम में हस्तक्षेप नहीं कर पाएंगे, नगर पालिका का संचालन सीएमओ और शासन द्वारा नियुक्त प्रशासक द्वारा किया जाएगा। एक दो दिन में प्रशासन की नियुक्ति होने की संभावना है।
पांच वर्ष पहले भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर नगर पालिका अध्यक्ष निर्वाचित हुई अभिलाषा शिवहरे और उनकी परिषद में शामिल भाजपा, कांग्रेस, बसपा सहित निर्दलीय निर्वाचित हुए 20 पार्षदों का पहला सम्मलेन 10 जनवरी 2015 को बुलाया गया था। जिसके चलते 10 जनवरी 2015 से अध्यक्ष सहित सभी पार्षदों का कार्यकाल शुरू हो गया था, जिसके बाद 5 साल तक नगर पालिका परिषद ने शहर में अनेक विकास कार्य कराए।
इस परिषद ने नगर में नई पाईप लाईन, धसान नदी पर नया फिल्टर प्लांट, स्टाप डेम, डिवाइडर निर्माण सहित अनेक विकास कार्य कराए। वर्ष 2014 में चुनाव होने पर 2015 में जनवरी के दूसरे सप्ताह में परिषद के अस्तित्व में आने के बाद 5 वर्ष पूरे होने पर 9 जनवरी 2020 को कार्यकाल पूरा हो गया। शासन के द्वारा नगर पालिका के संचालन के लिए प्रशासक की नियुक्ति की जाएगी, प्रशासक के रूप में संभवतः एसडीएम बीबी गंगेले के नाम का आदेश शासन के द्वारा जारी किया जा सकता है।
प्रशासक के इस कार्यकाल के दौरान ही स्वच्छता सर्वेंक्षण 2020 शुरू हो गया है, इसलिए नौगांव को बेहतर बनाने के लिए अब प्रशासक को भी अग्नि परीक्षा देना होगी। यदि वह बेहतर ढंग से शहर के लोगों को जागरुक करने में सफल हुए तो आने वाले रिजल्ट में हमारा नौगांव इस बार टॉप 50 में शामिल हो सकेगा। नौगांव में स्वच्छता सर्वेक्षण इसलिए भी महत्व रखता है, क्योंकि जब स्वच्छता सवेक्षण की शुरुआत हुई थी तो पहली बार में ही नौगांव गंदे शहर का दाग झेलना पड़ा था। परिणाम के बाद सोशल मीडिया पर काफी आलोचना हुई थी। क्योंकि कभी अंग्रेजों के ज़माने का नौगांव शहर सफाई के मामले में नम्बर एक की श्रेणी में आता था, लेकिन नगर पालिका की उदासीनता के चलते स्वच्छता सर्वेक्षण 2018 की सूची में नौगांव नगर को वेस्ट जोन श्रेणी में 1858 अंकों के साथ 537वां स्थान मिला था। जिसके बाद स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 की सूची में नौगांव नगर को वेस्ट जोन श्रेणी में एक लाख की आबादी वाले शहरों की सूची में 2309.8 अंकों के साथ 131 वां स्थान मिला था। इसके बाद चार्ज सम्हालने के बाद सीएमओ बसंत चतुर्वेदी के नेतृत्व मेंनौगांव बेहतर स्थिति में आता जा रहा है, जिसके चलते पिछले दिनों शासन ने नौगांव को ओडीएफ प्लस प्लस घोषित किया है।
सीएमओ ने नागरिकों से स्वच्छता में सहयोग की अपील की
सीएमओ बसंत चतुर्वेदी ने बताया कि परिषद का कार्यकाल समाप्त हो गया है। शासन द्वारा जो प्रशासक नियुक्त किया जाएगा, उसके साथ ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। नपा अध्यक्ष व पीआईसी के अधिकार क्षेत्र के सभी कार्य प्रशासक व उनके संयुक्त हस्ताक्षर से किए जाएंगे। चतुर्वेदी ने कहा कि स्वच्छ सर्वेंक्षण शुरु हो गया है, इसलिए वह नगरवासियों से अपील करते हैं कि सभी मिलकर नौगांव को स्वच्छ बनाने में अपना योगदान दें, ताकि इस बार हम और बेहतर पायदान पर आ सकें । उन्होंने कहा कि एक दो दिन में प्रशासक नियुक्त हो जाएंगे। उसके बाद उनके मार्गदर्शन में ही नगरपालिका का संचालन किया जाएगा।
इस तरह हो सकेगा राशि का आबंटन : जानकारी के अनुसार सीएमओ को एक लाख रुपए तक के भुगतान व विकास कार्य कराने का अधिकार होता है। जबकि अध्यक्ष के साथ सीएमओ को 5 लाख का अधिकार होता है, पीआईसी को 20 लाख तक और उससे अधिक 2 करोड़ तक परिषद तथा उससे अधिक की राशि खर्च करने का अधिकार शासन के पास होता है। लेकिन परिषद शून्य हो जाने के बाद अब शासन तय करेगा कि प्रशासक को कितनी राशि का अधिकार होगा। प्रशासक और सीएमओ मिलकर पीआईसी के अधिकारों का उपयोग कर सकते हैं। यहां पर ध्यान देने की बात यह है कि परिषद समाप्त होने के बाद भी आवर्ती व्यय में आने वाले खर्च, जिसमें बिजली बिल, फोन बिल, डीजल, पैट्रोल, कर्मचारियों का भुगतान आदि सीएमओ कर सकते हैं। लेकिन अनावर्ती भुगतान, जिसमें ठेकेदारों का भुगतान, अन्य विकास कार्यों के भुगतान प्रशासक के संयुक्त हस्ताक्षर से होंगे।
पांच वर्ष पहले भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर नगर पालिका अध्यक्ष निर्वाचित हुई अभिलाषा शिवहरे और उनकी परिषद में शामिल भाजपा, कांग्रेस, बसपा सहित निर्दलीय निर्वाचित हुए 20 पार्षदों का पहला सम्मलेन 10 जनवरी 2015 को बुलाया गया था। जिसके चलते 10 जनवरी 2015 से अध्यक्ष सहित सभी पार्षदों का कार्यकाल शुरू हो गया था, जिसके बाद 5 साल तक नगर पालिका परिषद ने शहर में अनेक विकास कार्य कराए।
इस परिषद ने नगर में नई पाईप लाईन, धसान नदी पर नया फिल्टर प्लांट, स्टाप डेम, डिवाइडर निर्माण सहित अनेक विकास कार्य कराए। वर्ष 2014 में चुनाव होने पर 2015 में जनवरी के दूसरे सप्ताह में परिषद के अस्तित्व में आने के बाद 5 वर्ष पूरे होने पर 9 जनवरी 2020 को कार्यकाल पूरा हो गया। शासन के द्वारा नगर पालिका के संचालन के लिए प्रशासक की नियुक्ति की जाएगी, प्रशासक के रूप में संभवतः एसडीएम बीबी गंगेले के नाम का आदेश शासन के द्वारा जारी किया जा सकता है।
प्रशासक के इस कार्यकाल के दौरान ही स्वच्छता सर्वेंक्षण 2020 शुरू हो गया है, इसलिए नौगांव को बेहतर बनाने के लिए अब प्रशासक को भी अग्नि परीक्षा देना होगी। यदि वह बेहतर ढंग से शहर के लोगों को जागरुक करने में सफल हुए तो आने वाले रिजल्ट में हमारा नौगांव इस बार टॉप 50 में शामिल हो सकेगा। नौगांव में स्वच्छता सर्वेक्षण इसलिए भी महत्व रखता है, क्योंकि जब स्वच्छता सवेक्षण की शुरुआत हुई थी तो पहली बार में ही नौगांव गंदे शहर का दाग झेलना पड़ा था। परिणाम के बाद सोशल मीडिया पर काफी आलोचना हुई थी। क्योंकि कभी अंग्रेजों के ज़माने का नौगांव शहर सफाई के मामले में नम्बर एक की श्रेणी में आता था, लेकिन नगर पालिका की उदासीनता के चलते स्वच्छता सर्वेक्षण 2018 की सूची में नौगांव नगर को वेस्ट जोन श्रेणी में 1858 अंकों के साथ 537वां स्थान मिला था। जिसके बाद स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 की सूची में नौगांव नगर को वेस्ट जोन श्रेणी में एक लाख की आबादी वाले शहरों की सूची में 2309.8 अंकों के साथ 131 वां स्थान मिला था। इसके बाद चार्ज सम्हालने के बाद सीएमओ बसंत चतुर्वेदी के नेतृत्व मेंनौगांव बेहतर स्थिति में आता जा रहा है, जिसके चलते पिछले दिनों शासन ने नौगांव को ओडीएफ प्लस प्लस घोषित किया है।
सीएमओ ने नागरिकों से स्वच्छता में सहयोग की अपील की
सीएमओ बसंत चतुर्वेदी ने बताया कि परिषद का कार्यकाल समाप्त हो गया है। शासन द्वारा जो प्रशासक नियुक्त किया जाएगा, उसके साथ ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। नपा अध्यक्ष व पीआईसी के अधिकार क्षेत्र के सभी कार्य प्रशासक व उनके संयुक्त हस्ताक्षर से किए जाएंगे। चतुर्वेदी ने कहा कि स्वच्छ सर्वेंक्षण शुरु हो गया है, इसलिए वह नगरवासियों से अपील करते हैं कि सभी मिलकर नौगांव को स्वच्छ बनाने में अपना योगदान दें, ताकि इस बार हम और बेहतर पायदान पर आ सकें । उन्होंने कहा कि एक दो दिन में प्रशासक नियुक्त हो जाएंगे। उसके बाद उनके मार्गदर्शन में ही नगरपालिका का संचालन किया जाएगा।
इस तरह हो सकेगा राशि का आबंटन : जानकारी के अनुसार सीएमओ को एक लाख रुपए तक के भुगतान व विकास कार्य कराने का अधिकार होता है। जबकि अध्यक्ष के साथ सीएमओ को 5 लाख का अधिकार होता है, पीआईसी को 20 लाख तक और उससे अधिक 2 करोड़ तक परिषद तथा उससे अधिक की राशि खर्च करने का अधिकार शासन के पास होता है। लेकिन परिषद शून्य हो जाने के बाद अब शासन तय करेगा कि प्रशासक को कितनी राशि का अधिकार होगा। प्रशासक और सीएमओ मिलकर पीआईसी के अधिकारों का उपयोग कर सकते हैं। यहां पर ध्यान देने की बात यह है कि परिषद समाप्त होने के बाद भी आवर्ती व्यय में आने वाले खर्च, जिसमें बिजली बिल, फोन बिल, डीजल, पैट्रोल, कर्मचारियों का भुगतान आदि सीएमओ कर सकते हैं। लेकिन अनावर्ती भुगतान, जिसमें ठेकेदारों का भुगतान, अन्य विकास कार्यों के भुगतान प्रशासक के संयुक्त हस्ताक्षर से होंगे।