मिले सम्मान हीरे का तो पत्थर जाग उठता है

...अनामिका अंबर







नगर में चल रहे मेला के मंच पर गुरुवार की रात अखिल भारतीय कवि सम्मलेन का आयोजन किया गया। कवि सम्मेलन में देश के ख्याति प्राप्त कवियों ने देर रात तक समसामयिक प्रसंगों एवं घटना क्रम पर हास्य, व्यंग्य, ओज, श्रंगार रचनाएं पढ़कर साहित्य प्रेमियों का मनोरंजन किया। कवियत्री अनामिका अंबर ने मां सरस्वती वंदना कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। पैरोडी कवि पवन बांके बिहारी ने चुनावी माहौल पर तंज कसते हुए कहा- चच्चा ने राजनीति में बच्चा जिसे माना, बच्चा वही चच्चा का भी चच्चा निकल गया। कवियत्री नम्रता ने -या तो ये तिरंगा में घर लौट आऊंगा मां, या तो ये तिरंगा सीमा पार लहराएगा, पढ़कर रगों में जोश भर दिया।

चंबल से आए कवि रामबाबू सिकरवार ने कहा- सब आंकड़े मोदी ने अस्त व्यस्त कर दिए, उठ रहे सवाल सब निरस्त वह कर दिए, जितने गढ़ किले थे सभी ध्वस्त कर दिए। कवि सुमित ओरछा ने कहा- कांग्रेस को वंशवाद का अंश बनाकर रख डाला, भारत जैसे लोकतंत्र पर दंश बनाकर रख डाला, ये जो बाहें ऊपर करके, किसके ऊपर बरस रहे हो,खुद का ही मूल्यांकन करलो, क्यों एक वो को तरस रहे हो। कवि अशोक सुंदरानी ने हास्य का श्रृंगार कर सदन को हंसने पर मजबूर कर दिया। कवि अभिराम पाठक ने कुछ देर के लिए देशभक्ति की कविताएं पढ़ कर माहौल में गर्माहट ला दी। कवि सम्मेलन का संचालन ओज कवि सौरभ सुमन ने किया।

कवि सम्मेलन
अनामिका अंबर ने बटोरी तालियां

इसके बाद आई डॉ. अनामिका अंबर ने मोहब्बत भरी शायरी से दिलों में दस्तक दी। उन्होंने अपनी कविता में कहा-चंदा की चकोरी से कभी बात होती, गर तुमसे हमारी ये मुलाकात होती, इसके बाद उन्होंने कहा-कभी दरिया के भीतर भी समंदर जाग उठता है। मिले सम्मान हीरे का तो पत्थर जाग उठता है। मेरा ईश्वर तेरा अल्लाह मालिक एक है सबका, मेहरबानी हो उसकी तो मुकद्दर जाग उठता है’’ पढ़ा तो पूरा सदन तालियों से गूंज उठा।