मौड़ बम ब्लास्ट मामले में 3 साल के बाद पहली बार एसआईटी ने डेरे को जांच में किया शामिल



मौड मंडी / पिछले तीन साल से मौड़ बम ब्लास्ट को लेकर जांच कर रही एसआईटी ने पहली बार डेरा सच्चा सौदा प्रबंधन को जांच में शामिल किया है। हालांकि पहली एसआईटी को डेरे के खिलाफ चार मजबूत एविडेंस मिले थे जो ब्लास्ट का सीधा कनेक्शन डेरे से जोड़ते थे, मगर एसआईटी ने डेरे को जांच में शामिल ही नहीं किया था।


पीड़ितों की याचिका पर हाईकोर्ट के निर्देश पर बनी नई एसआईटी ने डेरा चेयरपर्सन विपासना सिंह को परवाना भेज 15 जनवरी यानी बुधवार को एसआईटी के समक्ष बठिंडा में पेश होने को कहा था। लेकिन विपासना की बजाय उनके प्रतिनिधि पेश हुए। उन्होंने कहा कि विपासना किसी कारण से पेश नहीं हो पाईं और खुद डेरे के प्रतिनिधि के तौर पर अपने बयान दर्ज करवाए।


एसआईटी ने डेरा प्रतिनिधि से मौड़ बम ब्लास्ट में इस्तेमाल कार के डेरे की वर्कशॉप में तैयार होने संबंधी पूछताछ की। क्योंकि कोर्ट में फरवरी 2018 में दिए बयान में चार गवाहों ने कार को डेरे की शाही वर्कशॉप में तैयार होने की बात की थी, जिसमें डेरा मुखी की कारें मॉडीफाई होती थी।


इसके साथ ही ब्लास्ट में तीनों भगाेड़े आरोपियों गुरतेज काला, अमरीक सिंह व अवतार सिंह तारी के डेरे से जुड़े होने पर एसआईटी ने उन्हें भी पेश करवाने के लिए डेरा प्रबंधन को कहा। हाईकोर्ट में 18 जनवरी 2020 को एसआईटी को रिपोर्ट पेश करनी है और 30 जनवरी को इस रिपोर्ट पर सुनवाई होगी। 


13 चश्मदीदों समेत घायलों के एसआईटी ने दर्ज किए 161 के बयान


एसआईटी सदस्य आईजी अरुण कुमार मित्तल, एसएसपी नानक सिंह, डीएसपी कुलदीप सिंह भुल्लर बुधवार को मौड़ ब्लास्ट की जांच के लिए मौड़ पहुंचे। इसके बाद थाने जाकर 13 चश्मदीदों के 161 सीआरपीसी के तहत बयान दर्ज किए। घायलों में फड़ी नाथ (17), वेद (15) व राहुल (15), कृष्ण कुमार, सतपाल, हंस राज, भानी राम, हरमेश दास, जसकरन सिंह, अमरीक, अमरनाथ, मनी मित्तल और लोक राज (13) के बयान दर्ज किए। एसआईटी ने 45 लोगों को बुलाया था, मगर 20 चश्मदीद ही पहुंचे।  


वह 4 साक्ष्य जिन्हें पहले किया गया नजरअंदाज


चारों गवाह डेरे की वीआईपी वर्कशॉप में 25 अगस्त 2017 तक काम करते रहे। उन्होंने हरियाणा के अलीके गांव के गुरतेज काला के कहने पर ही लाल मारुति कार को सफेद पेंट किया गया था। काला डेरा मुखी का विश्वासपात्र है और वह ही उनके लिए गाड़ियां मॉडीफाई करता था। बाबा की गाड़ियों के अलावा मारुति असेंबल हुई जो ब्लास्ट में इस्तेमाल हुई। 


कुरुक्षेत्र के मज्जूमाजरा क्षेत्र का रहने वाला अवतार सिंह तारी बाबा की फिल्मों में शूटिंग के दौरान कार ब्लास्ट के सीन के लिए गाड़ियां बनाता था। पुलिस को शक है कि मौड़ ब्लास्ट में जिस कैमिकल के जरिए ईआईडी फिट कर इस्तेमाल हुआ यह शूटिंग में इस्तेमाल होती थी। तारी की ब्लास्ट में भूमिका पर पुलिस को शक है। ब्लास्ट के बाद से यह नहीं मिला।


डेरा मुखी का सबसे नजदीकी साधु व उनका पीएसओ अमरीक सिंह रहने वाला भीखी का है और पातड़ा में भी इसका घर है। मौजूदा समय में डेरे में ही रहता था। यह गाड़ी को तैयार करवाने के समय काला के पास वर्कशॉप में आता जाता था। क्योंकि ब्लास्ट में इस्तेमाल कुकर सुनाम की फैक्ट्री से आया, इसलिए यह भी शक के दायरे में है। ब्लास्ट के बाद से यह भी गायब है।  


ब्लास्ट की जगह से जो लुमीनेस बैटरी मिली वह सिरसा की अपोलो बैटरी शॉप से खरीदी थी, इससेे ही एसआईटी की जांच सिरसा पहुंची। दुकान पर जब जाकर जांच की तो वहां खरीदार के तौर पर गुरतेज काला की शिनाख्त हुई। जब ब्लास्ट की जगह के मोबाइल टावर डंप को निकालकर 2800 नंबरों की जांच हुई जो उसमें से 16 कॉल सिरसा में हुए थे, जिससे डेरे से ब्लास्ट का कनेक्शन और मजबूत हो गया। 


कार तैयार करने वाले चारों व्यक्तियों को बनाया गया था गवाह 


मौड़ बम ब्लास्ट के लिए बनी पहली एसआईटी ने डेरा सच्चा सौदा की वीआईपी वर्कशॉप में ब्लास्ट के लिए कार असेंबल करने वाले 4 कारिंदों को ट्रेस कर लिया था। गवाह सिरसा के कबाड़ी सुनील कुमार जिससे कार खरीदी, राजस्थान के गंगानगर का हरमेल सिंह और हरियाणा के सिरसा का हरप्रीत सिंह जिसने कार के लिए इंजन और सीट का इंतजाम किया, करनाल के पेंटर कृष्ण कुमार ने गाड़ी का कलर सफेद किया। इन्होंने फरवरी 2018 को तलवंडी कोर्ट में 164 के बयान दर्ज कराए थे। उन्होंने बताया था कि कार उन्होंने गुरतेज काला, अवतार सिंह तारी और बाबा के पीएसओ अमरीक के कहने पर तैयार की थी।


हाईकोर्ट में 18 को पेश करनी है रिपोर्ट


31 जनवरी 2017 को विस चुनाव से पहले डेरा मुखी के समधी पूर्व विधायक हरमंदर जस्सी की रैली में कार ब्लास्ट हुआ था, जिसमें वह बाल-बाल बचे थे। ब्लास्ट में अशोक, बरखा रानी हरपाल पाली निवासी जस्सी की घटनास्थल पर मौत हो गई थी, जबकि सौरभ सिगला, रिपिन दीप, जपसिमरन सिंह और अंकुश इंशा ने उपचार के दौरान दम तोड़ा था। इसके अलावा में करीब दो दर्जन लोग घायल हो गए थे। पीड़ितों को न्याय दिलवाने के लिए एनआईए जांच की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी।