महाराणा प्रताप ने कभी मुगलों से हार नहीं मानी-अग्रवाल

महाराणा प्रताप ने कभी मुगलों से हार नहीं मानी-अग्रवाल


दतिया / महाराणा प्रताप की सोच जाति,धर्म से ऊपर थी। वह सबको साथ लेकर चलते थे।उनके जैसे वीर विरले ही धरती पर आते हैं। उन्होंने भारतीय राजनीति को वह पैगाम दिया जिसे पूरी दुनियां कभी भुला नहीं सकती। उक्त बात भारतीय विद्य पीठ आवासीय विद्यालय के चेयरमेन व पूर्व विधायक प्रदीप अग्रवाल ने परमार फाउडेशन द्वारा आयोजित महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि पर अध्यक्षता करते हुए कही। उन्होंने आगे कहा महाराणा प्रताप न केवल हमारे स्वाभिमान के प्रतीक बल्कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हर उन महापुरूषों के लिए प्रेरणा स्रोत थे जो किसी भी कीमत पर भारत माता को पराधीनता की जंजीरों से मुक्त कराना चाहते थे। राष्ट्र हित में उनके आदर्शों पर चलना समय की मांग है उनके आदर्शों को देश के युवाओं को आत्मसात करना चाहिए।
सर्व प्रथम अतिथियों द्वारा महाराणा प्रताप के चित्र पर माल्यार्पण किया गया। इसके बाद अतिथि स्वागत प्रवीण सिंह, गुड्डू राजा परमार , अशोक श्रीवास्तव, मीना श्रीवास्तव द्वारा किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए समाजसेवी राहुल राजा ने कहा कि महाराणा प्रताप, शिवाजी महाराज, गुरूगोविन्द जी ने उस कालखण्ड में जिस सोच के साथ देश के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। हमें उनके पद चिह्नों पर चलने की प्रेरणा लेना चाहिए। वहीं कार्यक्रम का संचालन कर रहे संस्था संरक्षक मंगल सिंह परमार ने कहा कि महाराणा प्रताप के आदर्शों पर चलना समय की जरूरत है। वह एक ऐसा योद्धा थे जिन्होंने मुगलों के खिलाफ कीभी हार नहीं मानी। वहीं फाउण्डेशन की अध्यक्ष कुमकुम राजा परमार ने कहा कि महाराणा प्रताप ने घास की रोटी खाकर मुगलों के खिलाफ जंग लड़ते हुए उन्होंने वीरगति को प्राप्त किया। पत्रकार मनोहर कुशवाहा ने कहा कि हमें अपने पूर्वजों और वीर महापुरूषों के जीवन से प्रेरणा लेकर युवापीढ़ी को सजग प्रहरी की भूमिका निभाना चाहिए। ताकि हम भी इस देश के लिए अपना योगदान दे सकें। समाजसेवी आलोक सोनी ने महाराणा प्रताप को महान वीर सपूत बताया। वहीं पत्रकार संतोष तिवारी ने कहा कि वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की वीरता और शौर्य हमेशा भारत को गौरवान्तिवत करता रहेगा। अभिभाषक संजय सरवरिया ने कहा कि आज के समय में जब लोगों में भटकाव है तब हमारे युवओं को एक वार उनकी ओर देखने की जरूरत है। अंत में आभार अजय सिंह बड़े राजा द्वारा किया गया। इस अवसर पर आरपी सिंह बुन्देला, राजेन्द्र कुमार शर्मा, देवांत सिंह, अनुजा सिंह, आकाक्षां सिंह सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।