जेब्रा और जिराफ भी देख पाएंगे लोग बस सरकार 1.77 करोड़ रुपए की मदद कर दे



जयपुर / नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में लाॅयन सफारी की सफलता के बाद ‘एग्जोटिक पार्क’ खोलने की तैयारी है। इसके लिए हिप्पो का जोड़ा आ चुका है और एक शुतुरमुर्ग पहले से है। मसला अब जेब्रा और जिराफ का है। वन विभाग ने इन दोनों खूबसूरत और आकर्षक जानवरों को बाहर से लाने के लिए टेंडर भी कर दिए हैं, लेकिन सुई अब पैसों पर आकर अटक गई है। चूंकि टेंडर में जो सबसे कम से कम दरें आई हैं, वो पैसा भी वन विभाग के पास नहीं है। 



टेंडर में जेब्रा के दो जोड़ों के लिए 47 लाख और जिराफ के जोड़े के लिए 1 करोड़ 30 लाख की दर आई है। न्यूनतम दर भरने वाली फर्म थाइलैंड से ये दोनों जानवर लेकर आएगी। इससे पहले भी देश के गिने-चुने बायोलॉजिकल पार्क में बाहर से ही ये जानवर लाए गए हैं। लेकिन कुल मिलाकर करीब पौने 2 करोड़ का बजट अब समस्या है। वन विभाग के पास किसी हैड में बजट नहीं है। इसके बाद अब राज्य सरकार से पैसों की मदद को लिखा जा रहा है। अगर सरकार ध्यान देती है तो प्रदेश का पहला एग्जॉटिक पार्क (बाहरी जानवर) खुलने की स्थिति में होगा।


फिलहाल दिल्ली,  मैसूर, उड़ीसा, कोलकाता में ये जानवर हैं। लखनऊ जू लाने की तैयारी है। जयपुर में लॉयन सफारी की तर्ज पर इन्हें देखने का रोमांच मिलेगा। टाइगर सफारी भी प्रपोज है, जिसके बाद नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क की प्लानिंग साकार होगी। डीएफओ सुदर्शन शर्मा ने जेब्रा-जिराफ के लिए फाइनेंशियल बिड के अनुरूप पैसे के लिए राज्य सरकार को लिखा जा रहा है।


2 बड़े कारण: जो जाहिर करते हैं कि सरकार को मान जाना चाहिए


बच्चों की चहेती जगह, जो जुड़ेंगे उन्हें वन्यजीवों की समझ-संरक्षण की सीख
नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में पीक डेज पर तकरीबन 5 हजार के पार टूरिस्ट हो जाते हैं। वहीं सालाना 5 लाख टूरिस्ट आ रहे हैं। निश्चित रूप से बच्चों के लिए ये पसंदीदा जगहें होती हैं, जहां वो बचपन में ही वन्यजीवों की समझ, संरक्षण की सीख पैदा करते हैं, जो ताउम्र उनके दिमाग पर रहती है। अगर पहली बार जेब्रा-जिराफ जैसे एनिमल आते हैं तो उनको देखने वालों की तादात और बढ़ेगी, जिसके लिए सरकार को आगे आने की जरूरत है।


प्रदेश का पहला एग्जॉटिक पार्क खुलेगा, जो पहले से तैयार है


नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में मार्च-2019 से ही एग्जॉटिक पार्क की तैयारी कर 30 हेक्टेयर का एनक्लोजर तैयार है। इस पर करीब 1 करोड़ 80 लाख रुपए खर्च किए गए हैं। फिलहाल केवल हिप्पो को छोड़कर बाकी जगह खाली पड़ी है। अब अगर जेब्रा-जिराफ आता है तो यहां रौनक बढ़ेगी और प्रदेश का पहला एग्जॉटिक पार्क तैयार हो सकेगा। इसके लिए वन विभाग को राज्य सरकार से आर्थिक मदद चाहिए, यह मदद सरकार का ही राजस्व बढ़ाने वाली भी होगी



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