जजों ने पति-पत्नी का विवाद सुलझाने के लिए निर्भया केस की सुनवाई कुछ देर रोकी

 







 

जयपुर / निर्भया केस... दुनियाभर की निगाहें इस पर गड़ी हैं। बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट में इसी मामले की सुनवाई चल रही थी, तभी एक व्यक्ति अपनी महज तीन महीने की बेटी को लेकर हाईकोर्ट पहुंचा। जब कोर्ट को इस नवजात बच्ची और पिता के आने के बारे में जानकारी मिली तो जजों ने निर्भया केस की सुनवाई बीच में रोकते हुए कहा कि वे एक शॉर्ट ब्रेक लेंगे और पहले इस मामले को सुनेंगे।





जस्टिस मनमोहन ने महिला व उसके पति को बच्ची के साथ अपने चैंबर में आने को कहा। कोर्ट ने दोनों ही पक्षों के वकीलों को चैंबर आने से मना कर दिया। इसके बाद हाईकोर्ट ने बच्ची को उसकी मां के साथ भेज दिया और दोनों जजोंं ने फिर निर्भया मामले में दोषी मुकेश की याचिका पर सुनवाई शुरू की। दरअसल, पति-पत्नी के झगड़े के चलते जयपुर में एक महिला ससुराल से मायके (दिल्ली) चली गई। मगर उसकी 3 महीने की दूध पीती बच्ची कथित तौर पर उससे अलग कर दी गई। बेटी के प्रति एक मां की ममता महिला को हाईकोर्ट तक ले आई।


पत्नी का आरोप- पति ने पीटकर घर से निकाला, बच्ची छीनी


दिल्ली निवासी महिला ने वकील मलय के माध्यम से हाईकोर्ट में 11 जनवरी को हैबियस कार्पस याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता का कहना था कि उसकी शादी एक साल पहले जयपुर के एक व्यवसायी से हुई थी। इस शादी से उसकी तीन माह की एक बच्ची है। शादी के बाद से ही उसका पति अक्सर उससे झगड़ा करता रहता है। 1 जनवरी को उसके पति ने उसकी पिटाई कर उसे घर से निकाल दिया। कहा- जज साहब मेरे पति ने मेरी 3 माह की दुधमुही बच्ची मुझसे छीन ली है, मुझे मेरे दिल का टुकड़ा वापस दिला दो। मैं अपनी बेटी के बिना नहीं रह सकती। मेरी दूध पीती बेटी को भी मां के दूध की जरूरत है। वह भी अपनी मां के बिना नहीं रह पाएगी।


पति का आरोप- खुद छोड़कर गई पत्नी


हाईकोर्ट सूत्रों के मुताबिक, जस्टिस मनमोहन व जस्टिस संगीता ढींगरा सहगल ने पहले पति से पूछा कि क्या मामला है। पति ने आरोप लगाया कि झगड़ा होने पर पत्नी खुद ही तीन महीने की दूध पीती बच्ची को घर पर छोड़कर चली गई थी। उसने न तो अपनी पत्नी को घर से निकाला और न ही उससे बच्ची छीनी है।


जज ने दोनों को समझाया


जजों ने पति-पत्नी को समझाते हुए कहा कि आपके झगड़े में इस बच्ची का क्या कसूर है? मां-बाप के झगड़े में मासूम को नहीं पीसना चाहिए। बच्ची इतनी छोटी है कि वह मां के दूध पर निर्भर है। आप दोनों को आपस में बातचीत कर इस विवाद को सुलझाना चाहिए। आपके झगड़े में बच्ची मां के दूध से महरूम हो गई है। आप दोनों में से कसूर किसी का भी हो, मगर ज्यादा प्रभावित बच्ची हो रही है। फिलहाल कोर्ट बच्ची को मां के सुपुर्द करने का आदेश जारी कर रही है। मगर साथ ही उसके पिता को भी अपनी बच्ची से मिलने का पूरा कानूनी अधिकार दे रही है। बच्ची का पिता, महिला के घर जाकर उससे मिलेगा। दोनों बातचीत कर विवाद को सुलझाने का प्रयास करें। उनके बीच के इस प्रयास से विवाद सुलझा या नहीं? ये अगली सुनवाई में 20 जनवरी को बताएं।