दूध-दही और पनीर में मिलावट पर रोक लगेगी

डेयरियों के निरीक्षण व टेस्टिंग के मानक तय;



जयपुर / फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड ऑथोरिटी ऑफ इंडिया ने दूध व दूध से बने पदार्थो को बनाने वाली डेयरी कंपनियों के निरीक्षण व जांच के लिए स्टैंडर्ड मानक बनाए है। जिसके तहत आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित ‘इन हाउस लैब’ में माइक्रोबायोलॉजिकल व केमिकल जांच सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए। 


ऐसा नहीं होने पर एनएबीएल मान्यता प्राप्त लैब से जांच कराकर रिपोर्ट भेजनी पड़ेगी। दूध में यूरिया, स्टार्च, ग्लूकोज, सुक्रोज, साल्ट, वेजिटेबल ऑयल, फार्मेलिन, सेलुलोज, फेट, एसएनएफ, बोरिक एसिड, हाइड्रोजन परऑक्साइड, नाइट्रेट, न्यूट्रेलाइजर, पेस्टीसाइड, एंटीबायोटिक, एफ्लोटोक्सिन एम-1 की जांच सुविधा होनी चाहिए। निरीक्षण व टेस्टिंग के लिए स्टैंडर्ड की पालना करनी होगी। एफएसएसएअाई के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर डॉ. शोभित जैन ने राजस्थान समेत देश के फूड सेफ्टी कमिश्नर, फूड बिजनेस ऑपरेटर और सेन्ट्रल लाइसेन्सिंग ऑथोरिटी को टेस्टिंग और निरीक्षण प्रणाली स्थापित कर नियमों की पालना के आदेश दिए हैं। राज्य में सरस, लोटस, अमूल, रिलांयस और पायस समेत अनेक डेयरी दूध व दूध से बने पद्धार्थ बिकते हैं।


खाद्य पदार्थों में मिलावट रोकने के लिए दो दिन मंथन होगा


प्रदेश में खाद्य पदार्थों में मिलावट को रोकने पर जयपुर में दो दिन तक गहन मंथन होगा। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड ऑथोरिटी ऑफ इंडिया की अध्यक्ष रीटा टियोटिया राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, चिकित्सा मंत्री डॉ.रघु शर्मा, मुख्य सचिव डी.बी.गुप्ता, अतिरिक्त मुख्य सचिव (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य) रोहित कुमार, फूड सेफ्टी कमिश्नर डॉ.के.के.शर्मा से भी मुलाकात करेगी। वे मिलावटखोरों के खिलाफ बनाने जा रहे सख्त कानून के विभिन्न बिन्दुओं पर अधिकारियों से चर्चा कर जल्द लागू करने की पहल करेगी। इसके अलावा फूड लैब और उपलब्ध जांच सुविधा, इन्फ्रास्ट्रक्चर, मेनपावर, उपकरण, प्रोजेक्ट (ईट राइट कैंपस, भोग), लिए गए नमूने पर चर्चा करेगी।


नए मापदंडों पर बनेगी रिपोर्ट
नए मापदंड़ो के तहत रिपोर्ट में दिनांक, टेस्ट पैरामीटर, टेस्ट की विधि, सैंपलिंग पॉइंट, बैच नंबर, टेंकर नंबर, परिणाम और मिलावट पर की गई कार्रवाई का विवरण शामिल है।


दूध में मिलावट से भी अधिक गंभीर मुद्दा इसके प्रदूषित होने का है
विशेषज्ञों का कहना है कि दूध में मिलावट की समस्या तो है ही, लेकिन उससे भी गंभीर मुद्दा दूध के प्रदूषित होने का है। एफएसएसएआई की ओर से देशभर में कराए गए अध्ययन में दूध में एफ्लाटोक्सिन-एम1, एंटीबायोटिक्स और कीटनाशक जैसे पदार्थ पाए गए हैं। यहां तक कि खुले की तुलना में पैकेट वाला दूध ज्यादा खराब पाया गया है। देशभर में वर्ष 2018 में 1,103 शहरों में कराए गए अध्ययन में दूध के 6,432 नमूने लेकर जांच कराया।