भू-माफिया ने पुराना राजस्व रिकॉर्ड गायब कर 90 साल में 150 बीघा सरकारी जमीन हड़प ली





 

शाजापुर /  भू-माफिया को बड़ा जाल सामने आया है। इन लोगांे ने पुराना राजस्व रिकॉर्ड गायब कर 90 साल में सिर्फ शहरी क्षेत्र की ही 150 बीघा सरकारी जमीन हड़प ली। 1930 में राजस्व रिकाॅर्ड में 35 हेक्टेयर सरकारी जमीन अब नए रिकॉर्ड में सिर्फ 5 हेक्टेयर ही बची। यदि प्रशासन 15 दिन ही पुराने रिकॉर्ड काे खंगालकर माफिया ही पहचान करना शुरू कर दे तो शहर के कई रसूखदारों के चेहरे से पर्दा हट जाएगा। साथ ही प्रशासन को भी शहरी क्षेत्र में सरकारी निर्माण के लिए जगह की कमी नहीं आएगी।

शहरी क्षेत्र के सारे पुराने रिकॉर्ड यहां के भू-माफिया ने गायब कर दिए। इसके बाद अपने पास रखे पुराने नक्शे में सरकारी जमीनों को देख वहां कब्जा कर लिया। इसके बाद अफसरों से मिलीभगत कर तहसील कार्यालय, जिला रिकॉर्ड रूम से लेकर मुख्यालय ग्वालियर से भी शाजापुर का पुराना नक्शा गायब कर दिया। बाद में अफसरों ने नए सिरे से रिकॉर्ड बनाया। इसमें शासकीय जमीन पर माफिया को भू-स्वामी बना दिया। कुछ जमीन व्यवसाय के नाम पर लीज पर लेने के बाद भू-माफिया ने बाद में रजिस्ट्री कराकर हड़प ली। स्थिति यह है कि 1930 के राजस्व रिकाॅर्ड में सिर्फ नगरीय क्षेत्र में 35 हेक्टेयर जमीन शासकीय थी, लेकिन इसके बाद भू-माफिया से मिलीभगत कर तैयार किए गए रिकॉर्ड के बाद सिर्फ 5 हेक्टेयर ही शासकीय जमीन बची है। यानी 35 हेक्टेयर की 175 बीघा जमीन में से अब सिर्फ 5 हेक्टेयर यानी 25 बीघा जमीन ही सरकारी बची। शेष 150 बीघा जमीन भू-माफिया ने हड़प ली।

20 हेक्टेयर जमीन बाद में भी अधिग्रहित की

उक्त 35 हेक्टेयर जमीन के अलावा बाद में कॉलेज व आईटीआई के लिए भी प्रशासन ने 20 हेक्टेयर (100 बीघा) जमीन अलग से अधिग्रहित की थी। इसमें शासकीय बीकेएसएन कॉलेज की जमीन तो सुरक्षित है, लेकिन आईटीआई के लिए अधिग्रहित की गई जमीन में से 2009-10 में आधी जमीन पॉलिटेक्निक कॉलेज को हस्तांतरित करने के बाद 4 से 5 बीघा जमीन भू-माफिया ने हड़प ली। इसका रिकॉर्ड अफसरों के पास उपलब्ध होने के बाद कार्रवाई के लिए आगे नहीं आए।

मौके की जमीन पर अब प्रशासन की नजर...एक दिन की कार्रवाई में 30 करोड़ की जमीन से कब्जा हटाया

अतिक्रमण की जद में आए इस मकान के मालिक को दो दिन की मोहलत दी गई है, जो आज खत्म हो जाएगी।

शासकीय जमीन पर कट गई कॉलोनी

सरकारी जमीन को हड़पकर यहां कॉलोनियां तक काट दी गई है। करीब 30 साल पहले से बसे राजनगर कॉलोनी का रिकॉर्ड भी इसी चक्कर में राजस्व से गायब कर दिया गया है। यहां जब प्रशासनिक अफसर कुछ नहीं कर सके तो अन्य माफिया ने ऐसे काम शुरू कर दिए। दो साल पहले ही एमजी कान्वेंट स्कूल के पीछे भी ऐसा ही मामला सामने आया। यहां माफी औकाफ की जमीन का रिकॉर्ड बदलकर निजी कर दिया और संबंधित ने यहां कॉलोनी काटना शुरू कर दिया।

8-10 लोगों को 600 रुपए स्क्वेयर फीट के दाम पर प्लाट के सौदे भी कर दिए। बाद में शिकायत हुई और उक्त रजिस्ट्रियों को शून्य घोषित करना पड़ा। इनमें से कुछ लोग अब भी प्लॉट बेचने वाले से प्लाट के बदले भुगतान किए गए अपने पैसे वापस लेने के लिए चक्कर लगा रहे हैं।

गत दिवस 21 दुकानें तोड़कर प्रशासन ने 30 करोड़ की जमीन से कब्जा हटाया।

यह है पूर्व विधायक ताराज्योति शर्मा को लीजधारक द्वारा बेचा गया मकान, जिसे अब तोड़ा जाएगा।

शाजापुर में भू-माफिया का बडा नेटवर्क

भू-माफिया का बड़े अधिकारियों व नेताओं तक नेटवर्क बना हुआ है। यही वजह कि पहले तो तहसील कार्यालय से रिकॉर्ड गायब कराया। बाद में जिला रिकॉर्ड रूम और बाद में ग्वालियर से भी नक्शा व रिकॉर्ड गायब करा दिया। बाद में अपने हिसाब से नया रिकॉर्ड व नक्शा भी स्थानीय अधिकारियों से मिलकर तैयार करा लिया। पूरी प्रक्रिया में स्थानीय से लेकर ग्वालियर के अधिकारियों की भूमिका पर भी संदेह खड़ा हुआ है।

नेशनल हाइवे

सरकारी जमीन के सभी अतिक्रमण हटाएंगे


पूर्व विधायक को भी बेच दिया सरकारी जमीन पर बना मकान, अब टूटेगा

हाइवे से लगी 12 बीघा जमीन लीज पर लेने वाले ने बाद में इस जमीन की रजिस्ट्री कराकर राजस्व रिकाॅर्ड में जमीन अपने नाम से चढ़वा लिया। बाद में यहां बना मकान शाजापुर की विधायक रही तारा ज्योति शर्मा को 1968 में बेच दिया। अब उनके परिजन यहां रहते हैं। कार्रवाई शुरू होने के बाद रविवार को अधिकारियों ने उन्हें भी अल्टीमेटम दिया और पूर्व विधायक के परिजन को सोमवार को मकान खाली करना पड़ा। अब इस मकान को भी तोड़ा जाएगा।

30 करोड़ की जमीन कब्जे में ली

अधिकारियों ने एक ही दिन में 30 करोड़ की सरकारी जमीन से कब्जा हटाकर कब्जे में ले लिया। वाटर वर्कर्स से जनपद पंचायत के सामने तक हाइवे किनारे बनाई 21 दुकानों को तोड़ दिया।




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