राज्यसभा के लिए भाजपा में जोड़-तोड़ शुरू

राज्यसभा के लिए भाजपा में जोड़-तोड़ शुरू



भोपाल / प्रदेश में बदले हुए राजनैतिक परिदृष्य में तीन माह बाद अप्रैल में राज्यसभा की तीन सीटें रिक्त हो रही हैं। इनमें से दो भाजपा के पास हैं और एक सीट कांग्रेस के पास है। कांग्रेस की सीट पर दिग्विजय सिंह तो भाजपा की दोनों सीटों पर उपाध्यक्ष प्रभात झा और वरिष्ठ भाजपा नेता सत्यनारायण जटिया (अनुसूचित जाति) काबिज हैं। इन तीनों ही नेताओं का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। भाजपा की ओर से जहां प्रभात झा तीसरी बार की तैयारी कर रहे हैं तो वहीं बाकी नेता भी अपनी दावेदारी पुख्ता करने के लिए जोड़- तोड़ मे लग गए हैं। विधानसभा की मौजूदा दलीय संख्या के मुताबिक एक सीट भाजपा व एक कांग्रेस को मिलना तय है, जबकि तीसरी सीट के लिए मुकाबले में कांग्रेस का पलड़ा भारी है।
निर्दलीय तय करेंगे जीत
राज्यसभा चुनाव के लिए भले ही अभी तीन माह का समय है, लेकिन प्रदेश की सियासत अभी से गर्म हो गई है। दरअसल तीसरी सीट के निर्वाचन में भाजपा व कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला होने की पूरी संभावना है। इस सीट के लिए निर्दलीय के अलावा सपा व बसपा विधायकों की भूमिका अति महत्वपूर्ण होगी।
यह रहेगा जीत का गणित
राज्यसभा की एक सीट जीतने के लिए 58 विधायकों के वोटों की जरूरत पडेगी। इस लिहाज से तीसरी सीट के लिए कांग्रेस के ५६ और भाजपा के पास ५० विधायक बचेंगे। कांग्रेस को जहां दो वोटों की जुगा$ड़ करनी होगी, वहीं भाजपा को आठ वोटों की जरूरत होगी। ऐसे में दोनों दलों की नजर निर्दलीय व अन्य दलों के विधायकों पर रहेगी।
विजयवर्गीय की दावेदारी मजबूत
राज्यसभा सदस्य के लिए भाजपा में कई दावेदार सक्रिय हैंं। फिलहाल मालवांचल से पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी इस दौड़ में शामिल बताए जा रहे हैं। उन्हें सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा है। इस दौड़ में उनके अलावा महाकौशल से संघ की ओर से पूर्व महाधिवक्ता रविनंदन सिंह का नाम आगे बढ़ाया जा रहा है। विनोद गोटिया भी दावेदारी कर रहे हैं, वे एक बार राज्यसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। वहीं चंबल से अजा कोटे से लालसिंह आर्य को की भी दावेदारी बताई जा रही है। भजपा का एक धड़ा चाहता है कि इस बार राज्यसभा में अनुसूचित जनजाति के नेताओं को भेजा जाए।