पहली बार टूटी परंपरा, दोपहर की आरती व भोग का समय बदलने पर आपत्ति





गुरुवार को सूतक के चलते प्रात:कालीन आरती व भोग भी नहीं लगाया गया।





समय से 15 मिनट पहले भोग लगाने पर तीर्थनगरी व बाहर से आए श्रद्धालुओं ने आपत्ति जताई


मध्याह्न आरती 12.20 बजे की बजाय 12 बजे ही कर दी गई, 12.40 बजे लगने वाला मध्याह्न भोग भी इसी समय लगा दिया


 

ओंकारेश्वर / ज्योतिर्लिंग मंदिर में पौष अमावस्या व ग्रहण मोक्ष के बाद ओंकार महाराज के मध्याह्न भोग के समय को लेकर विवाद की स्थिति बन गई। समय से 15 मिनट पहले भोग लगाने पर तीर्थनगरी व बाहर से आए श्रद्धालुओं ने आपत्ति जताई। मंदिर संस्थान के सीईओ ने किसी तरह उन्हें समझाया।



ग्रहण के चलते ज्योतिर्लिंग मंदिर के पट सुबह 8 बजे बंद कर दिए गए थे। सूतक के चलते प्रात:कालीन आरती व भोग भी नहीं लगाया गया। मंदिर संस्थान द्वारा उद्घोषणा की जाती रही कि दोपहर 12 बजे मंदिर के पट खुल जाएंगे। 11 बजे ग्रहण मोक्ष होते ही मंदिर की सफाई कर ज्योतिर्लिंग ओंकारजी का पूजन-अभिषेक किया गया। 11.30 बजे प्राक:कालीन आरती कर भोग लगाया गया। कुछ देर पट नहीं खोलकर मध्याह्न आरती 12.20 बजे की बजाय 12 बजे ही कर दी गई। 12.40 बजे लगने वाला मध्याह्न भोग भी इसी समय लगा दिया गया।



बुजुर्ग-दिव्यांगों को नहीं मिल रहा वीआईपी गेट का लाभ
तत्कालीन कलेक्टर वीपी सिंह ने ज्योतिर्लिंग मंदिर में बुजुर्गों व विकलांग श्रद्धालुओं के लिए वीआईपी गेट की व्यवस्था कराई थी। यहां मंदिर ट्रस्ट रसीद काटकर दर्शन कराता था। अब यहां पंडे-पुजारियों व अफसरों का कब्जा रहता है। पंडे पुजारी बाहर से आने वाले तीर्थयात्रियों को बड़ी राशि लेकर दर्शन करा रहे हैं।



जिम्मेदारों ने समझाया
वर्षों से एक ही समय लगने वाले मध्याह्न भोग का समय बदलने पर कुछ पंडे-पुजारियों के साथ श्रद्धालुओं ने आपत्ति जताई। कुछ देर के लिए विवाद की स्थिति बन गई। ट्रस्ट पदाधिकारियों व तहसीलदार ने किसी तरह मामला शांत करा दर्शन शुरू कराए।




 ग्रहण काल के कारण प्रात: और मध्याह्न काल की आरती करनी थी। इसमें समय ज्यादा लगता। इस कारण त्रिकाल पुजारियों से चर्चा के बाद ही मध्याह्न भोग का समय बदला।
अशोक महाजन, सीईओ, मंदिर संस्थान




मंदिर में दो आरती करनी थी। बीच में 15 मिनट मंदिर के पट खोलने से श्रद्धालुओं को परेशानी होती। उनकी सुविधा को देखते हुए ही 20 मिनट पहले मध्याह्न भोग लगाया। इसके बाद खोले।
उदय मंडलोई, तहसीलदार, मांधाता



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