जेकेलोन अस्पताल में 10 बच्चों की मौत का मामला

, मुख्यमंत्री गहलोत ने चिकित्सा शिक्षा सचिव को रिपोर्ट बनाने कोटा भेजा





 





अस्पताल का रिकॉर्ड खंगाला तो सामने आया कि सोमवार व मंगलवार को अस्पताल में 10 बच्चों की मौत हुई थी


अस्पताल में रोजाना होने वाली मौतों के औसत से यह आंकड़ा कई गुना ज्यादा है


 

कोटा / जेकेलोन अस्पताल के शिशु रोग विभाग में बीमार बच्चों के इलाज पर एक बार फिर सवाल उठे हैं। 2 दिन में अस्पताल में 10 बच्चों की मौत हो गई थी। पूरा तंत्र इन मौतों को स्वाभाविक और सामान्य बताकर दबाने में जुटा रहा। अब इस मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चिकित्सा शिक्षा सचिव वैभव गालरिया को पूरे मामले पर रिपोर्ट देने के लिए कहा है। जिसके लिए वैभव गालरिया कोटा भेजा गया है। 


बता दें कि इस पूरे केस पर सीएमओ में एक टीम का गणन किया गया है। जिसमें एसएमएस मेडिकल कॉलेज अतिरिक्त प्राचार्य डॉक्टर अमरजीत मेहता, वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर रामबाबू, ओएसडी दीपक भटनागर टीम में शामिल किए गए हैं। ये सभी कमेटी मेंबर भी शिक्षा सचिव के साथ कोटा जाएंगे।


खंगाला रिकॉर्ड तो हुआ खुलासा


भास्कर ने अस्पताल का रिकॉर्ड खंगाला तो सामने आया कि सोमवार व मंगलवार को अस्पताल में 10 बच्चों की मौत हुई थी। सोमवार को 6 व मंगलवार को शाम तक 4 मौतें हुई। अस्पताल में रोजाना होने वाली मौतों के औसत से यह आंकड़ा कई गुना ज्यादा है। आम दिनों में रोजाना 2 से 3 बच्चों की मौत का औसत रहता है। भास्कर ने अधिकारियों से सवाल किए तो हड़कंप मच गया।


इन बच्चों की थमी सांसें
अस्पताल के रिकॉर्ड के मुताबिक, सोमवार को एनआईसीयू व पीआईसीयू में 3-3, जबकि मंगलवार को एनआईसीयू में 1 व पीआईसीयू में 3 बच्चाें की मौत हुई है। सोमवार को एनआईसीयू में 3 दिन की बेबी ऑफ रेखा, 2 दिन की बेबी ऑफ कांता, 1 दिन की बेबी ऑफ नरगिस तथा पीआईसीयू में जोगेंद्र, 5 माह का तेजस और 9 माह की पायल की मौत हुई। मंगलवार को पीआईसीयू में डेढ़ माह के रजनीश, दो माह के धनुष व एक साल के भरत की मौत हुई, वहीं एनआईसीयू में 1 दिन की बेबी आॅफ तौली की मौत हुई।


इन्वेस्टिगेशन : आईसीयू में 3 महीने से टपक रहा बाथरूम का पानी
जेकेलोन अस्पताल के शिशु रोग विभाग में पीडियाट्रिक और नियोनेटल आईसीयू की केयर हमेशा सवालों के घेरे में रही है। अस्पताल के दोनों आईसीयू में अक्सर उपकरण खराब मिलते हैं तो संक्रमण को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं।


बच्चों की मौत के बाद भास्कर ने आईसीयू की हकीकत जानने का प्रयास किया तो चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई। पता चला कि एफबीएनसी यूनिट में बीते करीब 3 माह से ऊपर बने वार्ड के बाथरूम का पानी टपक रहा है। मंगलवार को पानी थोड़ा ज्यादा टपकने लगा तो स्टाफ व बच्चों के अटेंडेंट कपड़ों से पोंछे लगाते नजर आए। यहां कार्यरत स्टाफ इस गंभीर समस्या को लेकर अस्पताल प्रबंधन को चिट्ठियां लिखते-लिखते थक चुका, लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं। जबकि यह इतना संवेदनशील वार्ड है कि बाहर की हवा भी बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है, क्योंकि बच्चों को संक्रमण का खतरा कई गुना ज्यादा होता है।


पांच दिन पहले एक ही रात में मरे थे 4 नवजात 
अस्पताल के सूत्रों ने बताया कि 5 दिन पहले भी एक साथ ऐसे ही बच्चों की मौत हुई थी। एक ही रात में 4 नवजात बच्चों का दम टूटा था। पूरी रात स्टाफ इन बच्चों को बचाने के लिए भागदौड़ करता रहा। विशेषज्ञों के मुताबिक, हेल्दी सीजन में इस तरह बच्चों की मौत समझ से परे है।



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