नाबालिग बेटी से ज्यादती करने वाले सौतेले पिता को तिहरा आजीवन कारावास, 15 हजार रु. जुर्माना


नाबालिग बेटी से ज्यादती करने वाले सौतेले पिता को तिहरा आजीवन कारावास, 15 हजार रु. जुर्माना







नातरे से पत्नी के साथ आई थी पीड़िता, 11 व्यक्तियों के बयान के आधार पर साबित हुई 


नीमच/ नाबालिग बेटी से ज्यादती करने वाले सौतेले पिता को कोर्ट ने तिहारा आजीवन कारावास व 15 हजार जुर्माने की सजा सुनाई। जिले का यह पहला मामला है जिसमें तिराहा आजीवन कारावास यानी गंभीर मामलों में दर्ज अपराध की तीन धाराओं में एक साथ आरोपी को उम्र कैद (20 साल) की सजा दी गई है। घटना के तीन साल बाद यह फैसला आया है। इसमें पीड़िता व उसके भाई समेत 11 व्यक्तियों के गवाह के आधार पर आरोप सिद्ध हुआ।


जिला लोक अभियोजन अधिकारी जगदीश चौहान ने बताया घटना 23 नवंबर 2016 डीकेन की हैं। 13 वर्षीय पीड़िता की माता गूंगी-बहरी हैं, वे तीन भाई-बहन हैं, जिसमें वह सबसे बडी हैं। उसके जन्म देने वाले पिता मानसिक रूप से विक्षिप्त होने के कारण उसकी माता ने आरोपी सत्तू उर्फ सत्यनारायण से नातरा कर लिया था। नातरे के बाद वे सभी लोग सत्यनारायण के पास डीकेन में रहने लगे। सत्तू ने 3 साल तक नाबालिग के साथ ज्यादती की। पीड़िता अपनी माता के साथ उसकी मौसी के यहां रामगंज मंडी गई तो पूरी घटना बताई। इसके बाद रिपोर्ट पुलिस थाना झालावाड़ (राजस्थान) में जीरो पर दर्ज करने के बाद थाना रतनगढ़ को भेजी गई। जहां आरोपी सत्तू के विरुद्ध धारा 245/16, धारा 376 (2)(एफ), 376 (2)(आई), 376 (2)(एन) व पाॅक्सो एक्ट की धारा 5/6 के तहत केस दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार किया।


विवेचना के बाद चालान विशेष न्यायालय जावद में प्रस्तुत किया गया। जहां अभियोजन द्वारा पीड़िता, उसके परिवार के सदस्य, पीडिता को नाबालिग प्रमाणित करने के लिए स्काॅलर रजिस्टर प्रस्तुत करने वाले प्रधानाध्यापक, पीडिता का मेडिकल परीक्षण करने वाले चिकित्सक सहित 11 गवाहों के बयान कराए। इस संबंध में लोक अभियोजन भोपाल के संचालक पुरुषोत्तम शर्मा द्वारा भी प्रकरण की समीक्षा की जा रही थी व समय-समय पर पैरवीकर्ता अधिकारी से जानकारी ली गई। जिसके परिणामस्वरूप अपराध को संदेह से परे प्रमाणित कराया गया। पिता-पुत्री रिश्ते को शर्मसार करने वाले कलयुगी सौतेले पिता आरोपी सत्तू उर्फ सत्यनारायण (47) पिता बद्रीदास बैरागी, निवासी आलोरी गरवाडा़ हाल मुकाम डीकेन को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश नीतिराजसिंह सिसौदिया द्वारा उपरोक्त सजा से दंडित किया।


अब फांसी का प्रावधान
डीपीओ चौहान ने बताया इस मामले में आरोपी द्वारा जो कृत्य काफी गंभीर होता है उसमें अब नए कानून के अनुसार कोर्ट फांसी की सजा भी दे सकती है। वर्ष 2018 से इस तरह की घटना पर यह लागू होना शुरू हो गया है। यह घटना वर्ष 2016 की होने से इस मामले में वह लागू नही हो सकी और अधिकतम उम्र कैद की सजा कोर्ट ने दी।