गाय-भैंसों के बीच ही किसानों को सुलाया, जो अव्वल आया, उसके ही दूध में निकला पानी

गाय-भैंसों के बीच ही किसानों को सुलाया, जो अव्वल आया, उसके ही दूध में निकला पानी



 गड़बड़ियाें की भेंट चढ़ा गोपाल पुरस्कार, न किसानों को चाय-नाश्ता मिला न पशुओं को चारा



 



धार / गोपाल पुरस्कार कार्यक्रम आयोजित तो किया गया था पशुपालकों को प्रोत्साहित करने के लिए लेकिन इसमें हावी अव्यवस्थाओं ने यहां आए लोगों को और निराश कर दिया। स्थानीय बकरी पालन केंद्र पर आयोजित इस तीन दिनी कार्यक्रम में जिन किसानों को भाग लेने के लिए बुलाया गया, उन्हें चाय-नाश्ता तक नहीं मिल पाया। न ही उनके पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था की गई। किसानों के ठहरने की व्यवस्था भी पशुओं के बीच ही कर दी गई। शायद यही काफी नहीं था...सो, जिस किसान की भैंस को प्रथम पुरस्कार मिला, बाद में उसके दूध में मिलावट पाए जाने पर उसे प्रतियोगिता से बाहर करना पड़ा।


मिलावट मिली... प्रथम पुरस्कार पाने वाले को प्रतियोगिता से बाहर किया


प्रतियाेगिता में कुक्षी के गिरधारी बृजवासी की भैंस काे 15 लीटर दूध देने पर प्रथम घोषित कर दिया था। अन्य किसानों ने आपत्ति ली तो वरिष्ठ पशु चिकित्सक धार ने एक कमेटी गठित कर उसके दूध का फेट चेक कराया। इसमें फेट कम पाया गया। पानी की मिलावट भी पाई गई। इस पर उसे प्रतियोगिता से बाहर कर दिया गया। गौरतलब है कि गोवंश के लिए चार और भैंस वंश के लिए 6 फेट का दूध होना चाहिए।


यह बात सही है कि कई कमियां रह गई हैं। इसे अगली प्रतियाेगिता में दूर किया जाएगा। जिस भैंस के दूध में पानी की शिकायत आई थी उसके पालक को प्रतियोगिता से हटा दिया गया है। ठहरने के उचित प्रबंध नहीं हो पाए।' 


एसके मोदी, वरिष्ठ पशु चिकित्सक, उपसंचालक कार्यालय धार


पशुओं के लिए पानी की भी व्यवस्था नहीं
जिलेभर से आए गोपालकों ने व्यवस्थाओं को लेकर नाराजगी जाहिर की। सलकनपुर के रमेशचंद्र जाट ने कहा कि हमें यहां गाय-भैंसों के बीच ही पलंग लगा मिला। यहीं पर रातभर सोना पड़ा। हम अपने पशु अपने खर्च से लाए। पशुओं को खाने के लिए कुछ नहीं दिया। सरदारपुर तहसील के साजोद के गोपाल मांगीलाल ने कहा भैंस और गाय को सुबह नौ बजे पानी पिलाने को कहा था तो दोपहर तीन बजे लेकर आए। मवेशी प्यासे रहे। न तो उन्हें खली दी और न ही बाटा।