तीन घंटो तक लगातार बैठी रही महिलाएं, अधिकारियों को भी किया अनसुना

दतिया। होली के दूसरे दिन भाईदूज पर दतिया सर्किल जेल पर मिलाई के लिए पहुंची महिलाओं के मिलाई नहीं होने पर ठंडी सड़क पर जाम लगा दिया। लगभग 200 से अधिक महिलाओं का कहना था कि वे आज अपने भाईयों से मिलकर ही जाएंगी। वहीं मौके पर पहुंचे एसडीएम वीरेंद्र सिंह बघेल की समझाइश के बाद लगभग 2 घंटे से लगे जाम को महिलाओं ने खोला। गौरतलब है, कि होली के अगले दिन भाईदूज पर महिलाएं जेल में बंद अपने भाइयों से मिलने के लिए जाती है। वहीं तिलक करती है। लेकिन इस बार हुए प्रशासनिक बदलाव के चलते ऐसा नहीं हो सका। इसको लेकर महिलाओं ने ठंडी सड़क पर जाम लगा दिया। महिलाओं का कहना था कि कई वर्षों से जब यह नियम चला आ रहा है तो अचानक यह बदलाव क्यों। इस दौरान महिलाओं ने जाम खुलवाने आए अधिकारियों से बहस भी की। लगभग दो घंटे लगे रहे जाम को एसडीएम बघेल की समझाइश पर महिलाओं ने खोला। लेकिन सूत्रों की माने तो इसी बात को लेकर बंदी भी धरने पर बैठ गए। इसके बाद में जेल प्रबंधन द्वारा खुलवाया गया।


 

नियम में हुआ बदलाव


इस दौरान जेल प्रबंधन ने बताया कि इस बार जेल में मिलाई के कुछ नियमों में बदलाव के लिए आदेश था। इसकी सूचना हमने लगभग 1 माह पहले ही चस्पा कर दी थी। इस बार होली के अगले दिन दौज पर मिलाई नहीं होगी। दौज के अगले दिन महिलाएं मिलाई कर सकती हैं। इसके अलावा जो महिलाएं आई थी। उन्हें भी समझाइश दी गई थी। लेकिन फिर भी हंगामा किया।


दूर-दूर से आई महिलाएं


धरना प्रदर्शन कर रही महिलाओं का कहना था, कि वे अपने भाइयों से मिलने के लिए काफी दूर-दूर से आई है। ऐसे में अगर पहले पता होता तो क्यों आते। इसके अलावा दौज पर ही तिलक लगाने के परंपरा है। अगर आज तिलक नहीं लगाया तो फिर कब लगाएंगे। प्रशासन को हमारी भावनाओं से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए।


 

अधिकारियों से हुई बहस


धरना स्थल पर शांति व्यवस्था के लिए पहुंची एसडीओपी गीता भरद्वाज ने जब महिलाओं को जाम खोलने को कहा तो महिलाओं ने साफ मना कर दिया। महिलाओं का कहना था, कि आप तो अपने भाइयों के तिलक लगा आईं। हमारे भाई तो जेल के अंदर बंद हैं हम कैसे उन्हें तिलक लगाएं। आज तो दौज है हर बहन अपने भाई को तिलक लगाती है। फिर हम क्यों नहीं लगा सकते। इस दौरान महिलाएं अपनी बात पर डटी रहीं।


बंदी भी बैठे धरने पर


एक तरफ जहां बाहर महिलाएं धरने पर बैठी थी, तो वहीं जेल में बंद कैदी भी इस व्यवस्था के खिलाफ धरने पर बैठ गए। एसडीएम की समझाइश पर जब 10 महिलाएं अपने भाइयों से बात करने पहुंची। उसमें से महज 2 ही कैदियों ने महिलाओं से बात की अन्य बाकी सभी कैदी यह कहकर धरने पर बैठ गए। उन्हें केवल फोन पर बात नहीं करनी है। परिजनों से मिलना भी है।


महिलाओं का कहना


हम लोग काफी दूर से मिलने के लिए आए थे। लेकिन जेल में मिलने नहीं दिया गया। इतनी दूर से आने का क्या फायदा हुआ।


इमरती निवासी ललितपुर 


हर साल तो हम अपने परिजनों से मिलते हैं। लेकिन इस बार क्या बात हो गई कि हमें मिलने नहीं दिया जा रहा है। इस तरह भावनाओं से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए।