रतलाम / चोराना पंचायत के गांव चकलाना में होली और धुलेंडी पर दो दिनी मेला लगता है। विशेषकर यहां धुलेंडी का महत्व रहता है। यहां आने वाले भक्तों की मन्नत पूरी होने पर 25 फीट ऊंचे खंभे पर बने मचान पर चढ़ कर आकाशीय परिक्रमा करता है। धुलेंडी पर्व पर हजारों की संख्या में भक्त यहां पहुंचे। चूल पर चलने के साथ ही कई भक्तों ने आकाशीय परिक्रमा की। रतलाम से 22 किमी दूर स्थित श्री भैरवनाथ मंदिर पर लगे दो दिनी मेले में मंगलवार को बड़ी संख्या में भक्त पहुंचे थे । धुलेंडी का दिन विशेष रहता है। सुबह से ही श्री भैरव नाथ मंदिर पर भक्त दर्शन के लिए पहुंचे। दोपहर 3.30 बजे बाद यहां चूल का आयोजन किया गया। 70 से ज्यादा भक्त चूल पर चले। मनोकामना पूरी होने पर 25 से ज्यादा भक्त 25 फीट ऊंचे खंभे पर बने मचान पर पहुंचकर आकाशीय परिक्रमा की। ग्रामीणों की माने तो मंदिर 400 साल पुराना हो कर यहां मनोकामना पूरी होने पर आकाशीय परिक्रमा (गल घूमने का कार्यक्रम) की जाती आ रही है। मंगलवार को दोपहर बाद 5 क्विंटल लकड़ियों से चूल तैयार की गई। इसके बाद भक्त अंगारों पर चले। 25 से ज्यादा भक्त चूल पर चल कर मंदिर पर पहुंचे और मचान पर पहुंच कर 25 फीट ऊंचे खंबे से बंध कर परिक्रमा की। परिक्रमा करते हुए भक्त हाथों से पुष्पवर्षा करते रहे। खंबे पर बंधी लकड़ी के एक छोर से भक्त तथा दूसरे छोर से रस्सी बंधी हुई थी। जिसे नीचे से भक्त घुमाता हुआ परिक्रमा करवाता रहा। यहां भक्तों ने 5, 7, 11 और 21 परिक्रमा की। सामाजिक युवा कार्यकर्ता सुनील गेहलोत ने बताया यहां खंबे के लिए उपयोग में लाई गई लकड़ी ओंकारेश्वर क्षेत्र के जंगल से मंगवाई गई है। इस लकड़ी को कालिया लकड़ी कहा जाता है और सालों-साल यह खराब नहीं होती है। उन्होंने बताया कि धुलेंडी के दिन लगे मेले में हजारों की संख्या में भक्त शामिल हुए।
मनोकामना पूरी हुई तो 25 फीट के ऊंचे खंबे पर बंधकर की परिक्रमा