इंदौर । सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इंदौर विकास प्राधिकरण (आईडीए) को मुआवजे के मामले में बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने तय कर दिया कि ऐसे मामलों में मुआवजे की राशि नए एक्ट के हिसाब से नहीं मिलेगी जहां आईडीए पहले ही जमीन का कब्जा ले चुका है या उसने मुआवजे की राशि कोषालय में जमा करा दी है। इस फैसले का फायदा आईडीए को 2013 से पहले की एक दर्जन से ज्यादा स्कीमों में मिलेगा। 2013 में नए भूमि-अर्जन अधिनियम लागू होने के बाद जमीन मालिक इसके हिसाब से मुआवजे की मांग करते हुए कोर्ट पहुंचे थे।
नए भूमि-अर्जन अधिनियम की धारा 24 (2) में कहा है कि ऐसी योजनाएं जो एक्ट आने से पहले की हैं और जिनमें आईडीए ने जमीन का कब्जा नहीं लिया है या मुआवजे की राशि जमीन मालिक के खाते में जमा नहीं करवाई है, उनमें जमीन मालिक को नए एक्ट का फायदा मिलेगा। ऐसे मामलों में भूस्वामी को नए एक्ट के हिसाब से शहरी क्षेत्र में गाइडलाइन का दोगुना और ग्रामीण क्षेत्र में चार गुना मुआवजा पाने का अधिकार होगा। इस धारा के चलते स्कीम 140, 97, 103, 74, 54, 71, 97 पार्ट 4, 97 पार्ट 3, 151 सहित एक दर्जन से ज्यादा स्कीमों में डेढ़ से दो हजार करोड़ रुपए मूल्य की जमीन विवाद में पड़ी थी। आईडीए ने या तो इनका कब्जा ले लिया था या मुआवजा कलेक्टर कार्यालय में जमा करा दिया था। सालों से इन जमीनों के विवाद कोर्ट में चल रहे थे। जमीन मालिकों का कहना था कि एक्ट की धारा 24(2) के हिसाब से उन्हें दोगुना और चार गुना मुआवजा मिलना चाहिए। ऐसे करीब 200 जमीनों के मामले में हाई कोर्ट में याचिकाएं दायर हुई थीं। वहां से जमीन मालिकों के पक्ष में फैसला हुआ तो आईडीए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया।
पांच जजों की बेंच ने सुनाया फैसला
शुक्रवार सुबह सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने जमीन के मुआवजे को लेकर सालों से चल रही याचिकाओं पर एक साथ फैसला सुनाया। आईडीए की याचिका भी इन्हीं में शामिल थी। 517 पेज के इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि आईडीए ने मुआवजा कलेक्टर कार्यालय में जमा करा दिया है या जमीन का कब्जा ले लिया है तो ऐसी स्थिति में जमीन मालिक को पुराने एक्ट के प्रावधानों के हिसाब से ही मुआवजा मिलेगा।
आपसी सहमति से ली जमीन पर नहीं पड़ेगा असर
किसी स्कीम के लिए आईडीए और जमीन मालिक की सहमति से भू-अर्जन हुआ है तो वहां आईडीए को शुक्रवार को आए फैसले का फायदा नहीं मिलेगा। आईडीए सीईओ विवेक श्रोत्रिय ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हजारों करोड़ रुपए मूल्य की जमीन मुक्त हो जाएगी। इससे सैकड़ों प्लॉटों को बेचने का रास्ता साफ हो गया है। श्रोत्रिय ने कहा कि फैसले की कॉपी उन्हें अब तक नहीं मिली है। कॉपी मिलने के बाद ही वे इस बारे में कुछ कह सकते हैं।