सिपाही से आईपीएस तक सबको मोबाइल नंबर

सिपाही से आईपीएस तक सबको मोबाइल नंबर


रिटायर होने तक रखना होगा पास


रायपुर / राज्य के आरक्षक से लेकर आईपीएस अफसर को ज्वाइन करते समय ही एक मोबाइल सिम कार्ड दिया जाएगा। रिटायरमेंट तक यह नंबर साथ रहेगा। यानी ट्रांसफर या नई पोस्टिंग के बाद नंबर को जिले में जमा नहीं करना पड़ेगा। अब तक जिले के एसपी, एडिशनल एसपी, सीएसपी और थानेदारों को ही नंबर दिए जाते हैं, लेकिन पहली बार आरक्षक, हवलदार और एएसआई को भी ये नंबर दिए जाएंगे।


इसके लिए पुलिस मुख्यालय ने बीएसएनएल के 50 हजार मोबाइल सिम की खरीदी की है। ये सिम कार्ड सभी जिलों में भेज दिए गए हैं। रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव और बिलासपुर में पुलिस अधिकारी-कर्मचारियों को सिम कार्ड बांटने की शुरुआत कर दी गई है। इसके बाद छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल में पदस्थ अफसर-जवानों के लिए 20 हजार सिम कार्ड खरीदे जाएंगे। इस तरह 76 हजार पुलिस अफसर व जवानों को सीयूजी (क्लोज्ड यूजर ग्रुप) नंबर दिए जाएंगे।



फ्री में होगी अफसर-जवानों की बात : अब तक मुख्यालय के अफसर, जिलों में कप्तान से थानेदार तक के लिए ही सीयूजी नंबर बांटे गए थे। फील्ड में काम करने वाले आरक्षक, हवलदार या एएसआई के पास नंबर नहीं होते थे। इन्हें अपने पैसे से रिचार्ज कराना होता था। सीयूजी नंबर होने से फ्री में बात हो सकेगी। 100 रुपए का बैलेंस व हर दिन एक जीबी डाटा मिलेगा।


अफसरों के लिए हो जाएंगे दो नंबर


इससे पहले पुलिस मुख्यालय ने रेंज के आईजी जिलों में एसपी, एडिशनल एसपी, सीएसपी व थानेदारों के लिए एक ही सीरिज के नंबर जारी किए थे। ये नंबर संबंधित पदों के लिए थे। ये नंबर अभी भी बने रहेंगे। अफसरों को ये नंबर भी साथ लेकर चलना होगा। इसके अलावा उन्हें जो व्यक्तिगत नंबर दिया जाएगा, वह भी साथ रखना होगा। इन नंबरों का ऑनलाइन रिकॉर्ड होगा, ताकि अधिकारियों को भी उनसे संपर्क करने के लिए किसी को बोलना न पड़े। उनका नाम और जिला टाइप करने पर उनका नंबर दिखाई देने लगेगा। इससे आम लोगों को भी सुविधा होगी। एक बार किसी सिपाही या अधिकारी का नंबर सेव कर लिए तो उसी नंबर पर उनकी बातचीत होगी। इस नंबर वाट्सएप पर भी रहेगा।


नंबर बदलने के कारण समस्या नहीं
पुलिस महकमे में सूचना तंत्र काफी अहम माना जाता है। ज्यादातर पुलिसकर्मी अपना निजी मोबाइल नंबर दूसरों को नहीं देते, जबकि जिन्हें सीयूजी नंबर दिए जाते हैं, उन्हें दूसरी पोस्टिंग मिलने पर नंबर छोड़ कर जाना होता है। इस तरह मुखबिरों का नेटवर्क टूट जाता है। लोग भी पुलिसकर्मियों से दूर हो जाते हैं। अब नौकरी ज्वाइन करने से लेकर रिटायरमेंट तक एक ही नंबर होने की स्थिति में पुलिसकर्मियों का लोगों से सीधा संपर्क बना रहेगा। मुखबिर तंत्र भी जीवित रहेगा। इसका फायदा पुलिस की जांच व अपराधियों की खोजबीन में मिलेगा।


हर अफसर-कर्मचारी का अपना नंबर
सभी जिलों में सीयूजी नंबर पहुंचा दिए गए हैं। जल्द ही बटालियन के लिए भी खरीदी की जाएगी। पुलिस की नौकरी करने वाले हर अफसर-कर्मचारी का अब सरकारी नंबर होगा, जो उनके सर्विस तक रहेगा।
-आरके विज, एडीजी तकनीकी सेवा


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