यूजीसी के मापदंड पूरे करने अब भी सरकारी कॉलेजों में 20 हजार और फैकल्टी की जरूरत





 

प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में 6.40 लाख से ज्यादा छात्र-छात्राएं अध्यनरत हैं, जिन्हें पढ़ाने का जिम्मा है 7240 शिक्षकों पर, यानी कॉलेजों में एक शिक्षक के जिम्मे 88 छात्र हैं, जबकि विवि अनुदान आयोग (यूजीसी) ने स्नातक में 30 छात्रों पर 1 और स्नातकोत्तर में 15 छात्रों पर 1 शिक्षक नियुक्त करने का मापदंड तय कर रखा है। वह इसलिए कि छात्रों को गुणवत्तायुक्त उच्च शिक्षा मिल सके, लेकिन मप्र के सरकारी कॉलेजों की स्थिति यूजीसी के मापदंडों के आसपास भी नहीं है। वह भी जब मप्र लोक सेवा आयोग (एमपी-पीएससी) के माध्यम से करीब 2700 असिस्टेंट प्रोफेसर्स की नियुक्ति कर ली गई है। इसके बाद भी उच्च शिक्षा विभाग ने उन अतिथि विद्वानों को बाहर का रास्ता दिखा दिया, जिनके भरोसे कॉलेजों में अब तक पढ़ाई हो रही थी। शिक्षाविदों की मानें तो यदि छात्रों को वास्तव में गुणवत्तायुक्त शिक्षा देना है तो सरकार को कम से कम 20 हजार फैकल्टी की भर्ती करनी ही होगी। पीएससी से चयनित असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति होने से अतिथि विद्वान बाहर होंगे, यह जानते हुए भी अफसरों ने समय रहते ऐसी कोई व्यवस्था नहीं बनाई कि इनको प्रभावित होने से बचाया जा सके। दरअसल, सरकार अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण का रास्ता ही नहीं निकाल पाई।

सरकारी कॉलेजों में पद नहीं इसलिए अतिथि विद्वानों को कर दिया बाहर, लेकिन हकीकत में

स्नातक में 30 छात्रों पर 1 और स्नातकोत्तर में 15 छात्रों पर 1 शिक्षक नियुक्त करने का नियम

प्रदेशभर में 512 सरकारी कॉलेज

यूजीसी के मापदंड... किस कोर्स में कितना शिक्षक-छात्र अनुपात

जनभागीदारी से चल रहे कोर्स भी अतिथि विद्वानों के सहारे

खास बात यह है कि कॉलेजों में अधिकतर व्यवसायिक कोर्स जनभागीदारी से संचालित किए जा रहे हैं। सामान्य काेर्स की अपेक्षा इन कोर्स में एडमिशन लेने वाले छात्रों से फीस अधिक ली जाती है। इनकी पढ़ाई भी अतिथि विद्वानों से ही कराई जाती है।

यूजी की स्थिति

5,53,069 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं प्रदेशभर के सरकारी कॉलेजों में

18,434 फैकल्टी की यूजीसी के अनुसार अभी भी जरूरत है

पीजी कोर्स में साइंस विषय के लिए 1:10, ह्यूमेनिटीज/सोशल सेक्टर के लिए 1:15 और कॉमर्स, मैनेजेंट के लिए 1:15 शिक्षक-छात्र अनुपात रहना चाहिए। वहीं यूजी कोर्स के सोशल साइंस विषय में 1:30 और साइंस में 1:25 शिक्षक-छात्र अनुपात तय है।

पीजी की स्थिति

89,392 छात्र प्रदेश सरकारी कॉलेजों में कर रहे हैं पढ़ाई

5959 फैकल्टी की जरूरत है पीजी कोर्स की पढ़ाई कराने के लिए

नैक में नहीं मिलता अच्छा रिस्पॉन्स... अधिकतर सरकारी कॉलेज नैक द्वारा की जाने वाली ग्रेडिंग में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं। जानकारों कहते हैं कि यदि शिक्षक-छात्र अनुपात के हिसाब से सरकारी कॉलेजों को योग्य फैकल्टी मिलेगी तो बड़े स्तर पर बदलाव देखने को मिलेंगे।

अवसर... यूजीसी के अनुसार पद स्वीकृत होते हैं तो मिलेंगी नौकरी

यूजीसी के अनुसार पद स्वीकृति होते हैं तो इसके लिए पीएससी से लगातार भर्ती करानी होगी। इससे नेशनल इलिजबिलिटी टेस्ट (नेट), स्टेट इलिजबिलिटी टेस्ट (सेट) सहित पीएचडी की याेग्यता रखने के बाद बेरोजगारी की मार झेल रहे योग्य उम्मीदवारों को रोजागर के अवसर मिल सकेंगे।

एक्सपर्ट व्यू

शिक्षा में गुणवत्ता के लिए जरूरी है कि यूजीसी के नियम लागू हों