भोपाल इज्तिमा 14 से ज्यादा देशों की जमातें पहुंचीं, पहले दिन करीब 3 लाख लोगों ने तकरीरें सुनीं


भोपाल इज्तिमा 14 से ज्यादा देशों की जमातें पहुंचीं, पहले दिन करीब 3 लाख लोगों ने तकरीरें सुनीं







करीब 400 फीट ऊंचाई से ड्रोन से ली गई तस्वीर में इज्तिमा स्थल देर रात 12:30 बजे इस तरह रोशनी से जगमग नजर आया। शान बहादुर




इज्तिमा में पहली बार... इस बार स्वच्छता के लिए याद किया जाएगा जलसा
 


भोपाल/ ईंटखेड़ी स्थित घासीपुरा में हो रहे मुस्लिमों के सबसे बड़े मजहबी जलसे आलमी तब्लीगी इज्तिमा का शुक्रवार से आगाज हो गया है। पहले दिन 14 से ज्यादा देशों से आई जमातों के साथ करीब 3 लाख लोगों ने मजहबी तकरीरें सुनीं। इस चार दिनी आयोजन का मकसद बंदों को दीन और इंसानियत का पैगाम देना है।


72वें आलमी तब्लीगी इज्तिमा का आगाज सर्द गुलाबी मौसम और दीनी माहौल में शुक्रवार को हुआ। पहले बंदों ने फजिर की नमाज में सजदा करके खुदा से रहम, करम अौर इज्तिमा की कामयाबी की दुआ मांगी। इसके बाद शीरी लहजे (मीठी जुबान) में मजहबी तकरीर करते हुए भोपाल के मुफ्ती आली कद्र ने बंदों को मजहबी उसूलों अौर ईमान के साथ जिंदगी गुजारने के बारे में समझाया। नमाज-ए-जुमा की अदायगी के बाद मौलाना चिराग राजस्थानी, असिर की नमाज के बाद मौलवी मिस्बाह और मगरिब की नमाज के बाद मौलाना युसूफ की मजहबी तकरीरें हुईं। इन सभी ने गुमराही में भटके बंदों को हिदायत अौर नसीहतें दीं। मजहबी उसूलों पर रोशनी डाली। अल सुबह से शुरू हुअा तकरीरों का सिलसिला देर रात 11 बजे तक चला।


उल्लेखनीय है कि भोपाल के अलावा इज्तिमा का अायाेजन पाकिस्तान में लाहौर के निकट 'रायविंड' और बांग्लादेश में ढाका के करीब 'टोंगी' में होता है।


उसूल बिना जिंदगी कैसे : उसूल हमारी जिंदगी की गाइडलाइन है। मसलन अल्लाह कहता है कि आखिरत (प्रलय) से पहले की जिंदगी संवारो ताकि दोजख (नर्क) जाने से बच सको। यानी ऐसे कर्म करें कि जिनका परिणाम मृत्यु के पूर्व संतोष, आनंद और मृत्यु के पश्चात पुण्य के रूप में मिले। मजहब के बताए रास्ते पर चलें, लेकिन जब तक हम अपनी मजहबी आचार संहिता का अनुसरण नहीं करेंगे, तब तक हम भटकेंगे।


भौतिकता अस्थाई : जीवन की चकाचौंध में हम भौतिकता से प्रभावित होते है। उसका उपभोग करने का सोचते हैं। आपके परिजन और नातेदार में से कोई अभाव में है, इसको राहत मुहैया कराने के बदले आप ऐश्वर्य का आनंद उठा रहे हैं। ये व्यवहार इस्लाम के समानता के सिद्धांत के खिलाफ है।


सद्व्यवहार और अनुशासन: इस्लाम हरेक से अच्छा व्यवहार करने और अनुशासन में रहने की हिदायत देता है। इससे पहचान मिलती है। जिसका लाभ बंदे को जीवनयापन के दौरान और सृष्टि समाप्त होने पर मिलना तय है।


ईमान वाला बनो: ईमान का अर्थ- अल्लाह हैं। वही हमारा मालिक है, जो बंदा अपना गुस्सा निकालने की ताकत रखता है और फिर बर्दाश्त कर जाए, उसके मन को खुदा ईमान से भर देता है। ईमान को आप विश्वास कह सकते हैं।


अवगुण क्या: बंदों में ऐसे अवगुण नहीं होना चाहिए, जिसके कारण वह और उसका परिवार लज्जित हो। अमानत में विश्वासघात करना, झूठ बोलना, वादा करके तोड़ देना, वाद-विवाद के दौरान शराफत की हद से गिर जाना।


200 इज्तिमाई निकाह हुए
शुक्रवार शाम को असिर की नमाज के बाद 200 इज्तिमाई निकाह हुए। दिल्ली मरकज से आए मौलाना साअद साहब ने इन निकाहों की तकमील कर खुतबा सुनाया और इन सभी जोड़ों की कामयाब जिंदगी की दुआ की। पहले इज्तिमा के दूसरे दिन निकाह पढ़ाने का रिवाज रहा है, लेकिन इस बार यह व्यवस्था बदली है।


खिदमत- जमातियों की खिदमत के लिए शहर में कई जगह कैंप लगाए गए हैं। भोपाल व हबीबगंज रेलवे स्टेशन, नादरा बस स्टैंड पर यात्रियों का इस्तकबाल किया जा रहा है।


जीरो वेस्ट इवेंट : मोबाइल वेस्ट प्रोसेसिंग वैन एवं प्लास्टिक वेस्ट का ऑनसाइट प्रोसेसिंग हो रही है। रोजाना 4 टन कचरा ऑर्गेनिक खाद में तब्दील होगा। इसका जिम्मा इंदौर की एक कंपनी को सौंपा है। नगर निगम के 400 कर्मियों के अलावा 4500 स्वंयसेवक स्वच्छता मित्र के रूप में हर दस मिनट में सफाई कर रहे हैं।


एप पर इज्तिमा: देसी-विदेशी जमातों की सुविधा के लिए एक मोबाइल एप लॉन्च किया गया है। एप को इज्तिमा स्थल पर लगे क्यूआरकोड अथवा गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है। इसके माध्यम से अायोजन स्थल पर पार्किंग, फूड जोन, पुलिस सहायता केंद्र, वुजूखाना, अापातकालीन चिकित्सा कमांड सेंटर की लोकेशन मिलेगी।


अस्पताल: स्वास्थ्य विभाग ने 10 बिस्तरों का अस्पताल खोला है। यहां 24 घंटे डॉक्टरों के साथ पैथोलॉजिस्ट, टेक्नीशियन, पैरामेडिकल स्टाफ मौजूद है। 28 तरह की चिकित्सीय जांच का इंतजाम भी किया गया है। हालांकि पहले भी डॉक्टर रहते थे, लेकिन अस्पताल अौर पैथोलॉजी लैब पहली बार खोली गई हैं।